
रामायण के सात सोपान
रामायण के सात काण्ड मानव की उन्नति के सात सोपान 1 बालकाण्ड –बालक प्रभु को प्रिय है क्योकि उसमेँ छल
रामायण के सात काण्ड मानव की उन्नति के सात सोपान 1 बालकाण्ड –बालक प्रभु को प्रिय है क्योकि उसमेँ छल
तीन काल त्रिभुवन मत मोरे।पुण्यसि लोक तात तर तोरे।। और भगवान ने कहा कि भरत! तुम्हारी महिमा तो इतनी है
विद्वान या विद्यावान विद्यावान गुनी अति चातुर ।राम काज करिबे को आतुर ।। एक होता है विद्वान और एक विद्यावान
हनुमानजी रावण की स्वर्ण नगरी लंका को जला कर राख करके चले जाते हैं। और रावण उनका कुछ नहीं कर
बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक प्रसंग. गोस्वामी तुलसीदास जी ने मानस में चार ऐसी स्त्रियों का अलग अलग स्थान पर
सुंदरकांड पढ़ते हुए 25 वें दोहे पर ध्यान थोड़ा रुक गया। तुलसीदास जी ने सुन्दर कांड में जब हनुमान जी
वास्तव में रामायण इंसान के अलग-अलग मनोभावों का ताना-बाना है। इसकी हर घटना इंसान की आंतरिक स्थिति का ही प्रतिबिंब
आज का सत्संग भगवान राम का चरित्र सर्वथा अनुकरणीय है, उनकी लीला का अनुकरण करें भगवान कृष्ण का चरित्र चिंतनीय
वनगमन के समय जब लक्ष्मण जी ने साथ चलने का हठ किया तो प्रभु ने कहा, अच्छा, माँ से बिदा
श्रीरामचरितमानस- बालकाण्ड ।। छन्द-भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।। लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा