रामायण (Ramayan)

भगवान श्रीराम ने माता कौशल्या को अपना अखंड रूप दिखलाया

श्री रामाय नमः देखरावा मातहि निज अद्भुत रूप अखंड।रोम रोम प्रति लागे कोटि कोटि ब्रह्मंड।। अगनित रबि ससि सिव चतुरानन।बहु

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भए प्रगट कृपाला दीनदयाला

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।। लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी।भूषन

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महर्षि वाल्मीकि द्वारा भगवान राम के निवास स्थान का निरूपण

प्रभु प्रसाद सूचि सुभग सुबासा।सादर जासु लहइ नित नासा।। तुम्हहि निबेदित भोजन करहीं।प्रभु प्रसाद पट भूषन धरहीं।। सीस नवहिं सुर

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प्रयागराज महिमा

सचिव सत्य श्रद्धा प्रिय नारी।माधव सरिस मीतु हितकारी।। चारि पदारथ भरा भँडारु।पुन्य प्रदेस देस अति चारु।। छेत्रु अगम गढु गाड़

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