
राष्ट्रधर्मका पालन
[3] राष्ट्रधर्मका पालन महामहोपाध्याय पण्डित द्वारकाप्रसाद चतुर्वेदी उन दिनों सरकारी सेवामें थे। वे परम वैष्णव तथा धर्मका पालन करनेवाले महापुरुष
[3] राष्ट्रधर्मका पालन महामहोपाध्याय पण्डित द्वारकाप्रसाद चतुर्वेदी उन दिनों सरकारी सेवामें थे। वे परम वैष्णव तथा धर्मका पालन करनेवाले महापुरुष
भविष्यकी चिन्ता मुसलिम सन्त करमानीकी बेटी उनसे बढ़कर थी। उसके सौन्दर्य और स्वभावकी कीर्ति सुनकर बादशाहने अपने शाहजादेके साथ उसके
‘मेरे बच्चो मेरे पास जो कुछ भी तुम्हें देनेके लिये है उसे मैं तुम दोनोंको बराबर-बराबर देता हूँ। मेरी सारी
लूसाने तंबाकू पीनेकी आदत छोड़नेका अमित प्रयत्न किया, पर वह सफल न हो सकी। चालीस सालकी अवस्थामें पहुँचनेपर उसका मन
एक राजाके पास दो शिकारी कुत्ते थे। वे एक दूसरेसे थोड़ी दूरपर रखे गये। उनमें प्रायः लड़ाई हुआ करती थी।
एक युवककी देशभक्ति स्वामी विवेकानन्द उन दिनों एक देशसे दूसरे देशकी यात्रापर थे। इसी दौरान वे जापानकी यात्रापर गये। जापानके
मुनिवाहन – तिरुप्पनाळवार जातिके अन्त्यज माने जाते थे। धानके खेतमें पड़े हुए एक अन्त्यजको मिल गये थे। उसने इनका अत्यन्त
‘सिन्धुका वेग बढ़ रहा है, महाराज! सेनाका पार उतरना कठिन ही है।’ सेनापतिने काश्मीरनरेश ललितादित्यका अभिवादन किया। पर हमें पञ्चनद
एक स्त्री हमेशा अपने पतिको निन्दा किया करती थी। यह स्त्री पूजा करने और माला फेरनेमें तो अपना काफी समय
संसारके सम्बन्ध असत्य और अनित्य शूरसेन- प्रदेशमें किसी समय चित्रकेतु नामक अत्यन्त प्रतापी राजा थे। यद्यपि उनके रानियाँ तो अनेक