
पिताका आशीर्वाद नहीं समझा
पिताका आशीर्वाद नहीं समझा एक युवक स्नातककी पढ़ाई कर रहा था। उसकी इच्छा थी कि पढ़ाई पूरी होनेपर, स्नातक-दिवसपर उसके
पिताका आशीर्वाद नहीं समझा एक युवक स्नातककी पढ़ाई कर रहा था। उसकी इच्छा थी कि पढ़ाई पूरी होनेपर, स्नातक-दिवसपर उसके
श्रीनन्दरानी अपने प्राङ्गणमें कुछ गुनगुन गाती कन्हाईके कलेककी सामग्री एकत्र करने जा रही थीं। बड़ा चञ्चल है उनका श्याम। वह
पोप पाइस नवमको एक दिन विचित्र पत्र मिला जिसमें स्याहीके अनेक धब्बे थे। बहुत-सी भूलें थीं। कागज अत्यन्त मैला था।
एक बार भक्त श्रीरूपगोस्वामीजी ध्यानमें यह झाँकी कर रहे थे कि श्रीराधाजी तथा भगवान् श्रीकृष्ण खड़े हैं और आपसमें एक
उत्तरप्रदेशमें तारीघाटका प्रसंग एक प्रभु-निर्भर जीवन स्वामी विवेकानन्द तारीपाटमें चिलचिलाती गर्मी के दिनोंमें रेलगाड़ीसे उतरकर कहीं छायादार स्थान ढूँढ़ रहे
परोपकारीकी रक्षा स्वयं परमात्मा करते हैं अमेरिका। एक नदीका व्यस्त किनारा। जागृति और हलका आवागमन! प्रातः कालका समय है। नदी
बात शाहजहाँके शासनकालकी है। स्यालकोटके एक छोटे मदरसेमें बालक हकीकतराय पढ़ता था । एक दिन मौलवी साहब कहीं बाहर चले
जरूरतमन्दकी मदद अफ्रीकामें एक छोटा-सा देश है बासुतोलैण्ड ! यहाँका अधिकांश क्षेत्र घने जंगलोंसे घिरा हुआ है। इन्हीं जंगलोंके बीच
निर्णयमें विलम्ब उचित नहीं (ब्रह्मलीन स्वामी श्रीअखण्डानन्द सरस्वतीजी महाराज ) वाराणसी मण्डलके अन्तर्गत पश्चिमवाहिनी गंगाके तटपर एक छोटा-सा ग्राम है,
दोब्रीवेकी पढ़ाई समाप्त हो गयी। उसका जन्मदिवस आया जन्म दिनके उपलक्ष्यमें उसके यहाँ बहुत कीमती सौगातका ढेर लग गया। उसके