
अनन्य आशा
कवि श्रीपतिजी निर्धन ब्राह्मण थे, पर थे बड़े तपस्वी, धर्मपरायण, निर्भीक भगवद्धक भगवान्में आपका पूर्ण विश्वास था। आप भिक्षा माँगकर
कवि श्रीपतिजी निर्धन ब्राह्मण थे, पर थे बड़े तपस्वी, धर्मपरायण, निर्भीक भगवद्धक भगवान्में आपका पूर्ण विश्वास था। आप भिक्षा माँगकर
वे नागा साधु थे। एक नागा साधुके समान ही उनमें तितिक्षा थी, तपस्या थी, त्याग था और था अक्खड़पना। साधु
एक घरमें स्त्री-पुरुष दो ही आदमी थे और दोनों आपसमें नित्य ही लड़ा करते थे। एक दिन उस स्त्रीने अपनी
प्रेम ही ईश्वर है सरल विश्वास और निष्कपटता रहनेसे भगवत्प्राप्तिका लाभ होता है। एक व्यक्तिकी किसी साधुसे भेंट हुई। उसने
अभिभावकोंको चाहिये कि संतानको सुसंस्कार दें पूर्वकालमें मृत्युदेवके एक कन्या उत्पन्न हुई थी, जिसका नाम सुनीथा रखा गया था। वह
मित्रकी माता धर्मतः माता होती है एक बार अयोध्यानरेश श्रीराम, लक्ष्मण और सुग्रीवके साथ लंकापुरी आये। राजा विभीषणका मन्त्रिमण्डल और
[4] स्वभाव बदलो संत अबू हसनके पास एक व्यक्ति आया और बोला- ‘महाराज, मैं गृहस्थीके झंझटोंसे परेशान हो उठा हूँ।
(4) सत्यके विविध आयाम आश्रमके तीन झेन-साधक बाहर टहल रहे थे, हवा तेज थी और आश्रमकी ध्वजा तेजीसे फड़फड़ा रही
एक भंगिन शौचालय स्वच्छ करके जब चलने लगी तब किसी भले आदमीने कुतूहलवश पूछा—’तुम्हें यह काम करनेमें घृणा नहीं लगती
इजरायलके इतिहासमें बादशाह सुलेमानका नाम अमर है। वह बड़ा न्यायी और उदार था। उसके राज्यमें प्रजा बहुत सुखी थी। एक