
तारा भोजन की कहानी
एक राजा की लड़की तारा भोजन करती थी। उसने अपने पिताजी से कहा, पिताजी मुझे नौ लाख तारे बनवा दो,
एक राजा की लड़की तारा भोजन करती थी। उसने अपने पिताजी से कहा, पिताजी मुझे नौ लाख तारे बनवा दो,
एक राजा के पास कई हाथी थे, लेकिन एक हाथी बहुत शक्तिशाली था, बहुत आज्ञाकारी, समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण
एक बार एक राजा ने गाव में रामकथा करवाई और कहा की सभी ब्राह्मणो को रामकथा के लिए आमत्रित किया
एक बार एक नगर मे कई व्यक्ति बड़े दुःखी थे बस अपने दुखों की दवा पाने के लिये इधरउधर
एक गोपी को श्रीकृष्ण का बहुत विरह हो रहा था। सारी रात विरह में करवटे बदलते ही बीती। सुबह ब्रह्म
किसी गाँव में एक भाट व एक जाट रहता था, दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी. एक बार जाट अपनी बहन
(स्कन्द-पुराण से) कृष्ण कृष्णेति कृष्णेति यो मां स्मरति नित्यशः।जलं भित्वा यथा पद्मं नरकादुद्वराम्यहम्।। भगवान् विष्णु ने ब्रह्माजी से कहा- तुमने
हम में से अधिकांश लोग अच्छा दिखने की कोशिश करते हैं, और दिखाने के लिए इतनी अच्छी और ज्ञान भरी
श्री यमुनाजी भक्तिका स्वरुप है, और भक्ति के प्रकार भी नव है । श्री यमुनाष्टक भी नव श्लोक में है
जिस दिन कान्हा खडे हुए मैया के सब मनोरथ पूर्ण हुये आज मैया ने गणपति की सवा मनि लगायी है।