शिक्षा और सशक्तिकरण का महत्व
एक दिन, एक कंपनी में साक्षात्कार के दौरान, बॉस, जिसका नाम अनिल था, ने सामने बैठी महिला, सीमा से पूछा,
एक दिन, एक कंपनी में साक्षात्कार के दौरान, बॉस, जिसका नाम अनिल था, ने सामने बैठी महिला, सीमा से पूछा,
दो बाप बेटे घर में रहते हैं बेटा आस्तिक था और बाप नास्तिक अक्सर दोनों में वाद विवाद होते रहता
शब्द ही किसी मनुष्य के संस्कारों के मुल्यांकन का सबसे प्रभावी और सटीक आधार होते हैं। मनुष्य के केवल शब्द
जिस प्रकार कोई खाली दीप में तेल डाल दे,ज्योति रख देऔर उसे जला दें, तो दीपक की ज्योति से चारो
पूर्वकाल की बात है, गौतमी के उत्तर- तट पर आत्रेय नाम के ऋषि निवास करते थे।.उन्होंने अनेक ऋत्विज मुनियों के
“संसार में कुछ चीज़ें धन से खरीदी जा सकती हैं, जैसे रोटी कपड़ा मकान मोटर गाड़ी सोना चांदी इत्यादि।”“परंतु कुछ
दुर्गादास था तो धनी किसान; किन्तु बहुत आलसी था| वह न अपने खेत देखने जाता था, न खलिहान| अपनी गाय-भैंसों
आज का प्रभु संकीर्तन।।बुरी परिस्थितिया हमें इतनी विचलित कर देती हैं कि हम उस परमात्मा के अस्तित्व पर भी प्रश्न
एक बार एक नौजवान लड़का महान दार्शनिक सुकरात के पास आया और उनसे पूछा, “सफलता का रहस्य क्या है?” सुकरात
“अम्मा!.आपके बेटे ने मनीआर्डर भेजा है।”डाकिया बाबू ने अम्मा को देखते अपनी साईकिल रोक दी। अपने आंखों पर चढ़े चश्मे