
माधुर्यका रहस्य- केवल संग्रह मत करो
माधुर्यका रहस्य- केवल संग्रह मत करो पथिकने सरितासे पूछा, ‘सरिते! तू इतनी छोटी है, किंतु तेरा जल कितना मधुर तथा

माधुर्यका रहस्य- केवल संग्रह मत करो पथिकने सरितासे पूछा, ‘सरिते! तू इतनी छोटी है, किंतु तेरा जल कितना मधुर तथा

एक दिन एक घमंडी युवकने इंगलैंडकी महारानी एलिजाबेथके आदरभाजन तथा प्रख्यात शूर सर वॉल्टर रैलेको द्वन्द्वयुद्धकी चुनौती दी। उस समय

गौतम नामका एक ब्राह्मण था ब्राह्मण वह केवल अर्धमें था कि ब्राह्मण माता-पितासे उत्पन्न हुआ था, इस अन्यथा था वह

श्री ताराकान्त राय बंगालके कृष्णनगर राज्यके उच्च पदपर नियुक्त थे। नरेश उन्हें अपने मित्रकी भाँति मानते थे। बहुत समयतक तो

अद्भुत डाकू था वह फकीरोंके वेशमें रहता, हाथमें उसके तसबीह रहती। वह डाका डालता, पर अधिकांश धन गरीबोंमें बाँट देता।

अठारहवीं शताब्दीके इटली देशके प्रसिद्ध संत अलफान्सस लिग्योरी अपने पूर्वाश्रममें वकीलका काम करते थे। एक समयकी बात है। वे न्यायालयमें

एक बार भगवान् श्रीराम जब सपरिकर सभामें विराज रहे थे, विभीषण बड़ी विकलतापूर्वक अपनी स्त्री तथा चार मन्त्रियोंके साथ दौड़े

एकताका सूत्र है- सहनशीलता जापानके राजा यामोता धर्मात्मा तथा उदार हृदयके शासक थे। वे प्रजाजनोंके सुख-दुःखमें हमेशा सहभागी बननेका प्रयास

एक बार कैलासाश्रम ऋषिकेशसे ब्रह्मलीन महात्मा स्वामीजी श्रीप्रकाशानन्दपुरीजी होशियारपुर से हरद्वार पधार रहे थे। रेलके अम्बाला छावनी स्टेशनपर खड़ी होते

रामतारण चक्रवर्ती नामके एक सज्जन कलकत्ते में किसी व्यापारी फर्ममें काम करते थे। उनके घरमें स्त्री और दस-बारह वर्षकी एक