
आदर्श निर्लोभी
परम भक्त तुलाधार शूद्र बड़े ही सत्यवादी, वैराग्यवान् तथा निर्लोभी थे। उनके पास कुछ भी संग्रह नहीं था। तुलाधारजीके कपड़ोंमें
परम भक्त तुलाधार शूद्र बड़े ही सत्यवादी, वैराग्यवान् तथा निर्लोभी थे। उनके पास कुछ भी संग्रह नहीं था। तुलाधारजीके कपड़ोंमें
नामदेवकी पत्नी राजाई अपनी सहेली परिसा भागवतकी पत्नीके पास गयी। घरेलू सुख-दुःखकी। कथाके प्रसङ्गमें राजाईने अपने घरकी अत्यधिक विपन्नताकी राम
छलपूर्वक असत्य भाषण करनेसे नरक-दर्शन धर्मराज युधिष्ठिरने स्वर्गमें जानेके पश्चात् देखा कि दुर्योधन स्वर्गीय शोभासे सम्पन्न हो देवता और साध्यगणोंके
पिताने अपने नन्हे से पुत्रको कुछ पैसे देकर बाजार भेजा फल लानेके लिये। बच्चेने रास्तेमें देखा, कुछ लोग, जिनके बदनपर
यूरोपके इतिहासमें मार्टिन लूथरका नाम स्वर्णाक्षरोंमें अङ्कित है। वे अपने समयके बहुत बड़े आध्यात्मिक नेता थे; उन्होंने मध्यकालीन यूरोपमें धार्मिक
कोई धनवान् पुरुष अपने मित्रके साथ कहीं जा रहे थे। मार्गमें एक विपत्तिमें पड़े कंगालको देखकर मित्रका हाथ दबाकर वे
कलकत्तेमें श्रीलक्ष्मीनारायणजी मुरोदिया नामक एक संतस्वभावके व्यापारी थे। एक बार किन्हीं दो भाइयोंमें सम्पत्तिको लेकर आपसमें झगड़ा हो गया और
एक रातकी बात है। एक चोर किसी घरमें सेंध लगा रहा था। घरके मालिकने एक कुत्ता पाल रखा था। चोरको
शचीपति देवराज इन्द्र कोई साधारण व्यक्ति नहीं, एक मन्वन्तरपर्यन्त रहनेवाले स्वर्गके अधिपति हैं। घड़ी-घण्टोंके लिये जो किसी देशका प्रधान मन्त्री
‘जाकी रही भावना जैसी’ एकबार संगीताचार्य तानसेनने एक भजन यशोदा प्रतिदिन कहती हैं।’ गाया- जसुदा बार बार यों भाखै। है