
[6]आध्यात्मिक विचार
कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! श्री कृष्ण के जन्म से उनकी लीला संवरण तक हर घटना अपने आप में गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों
कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! श्री कृष्ण के जन्म से उनकी लीला संवरण तक हर घटना अपने आप में गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों
कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! श्री कृष्ण राधा, मीरा, गोपियों का विरह हैं और उनकी आराधना भी….. वे सूरदास की दृष्टि हैं
‘हे उद्धव! शंकर, ब्रम्हा, बलराम, लक्ष्मी और स्वंय अपना आत्मा भी मुझे उतना प्रिय नहीं है,जितने प्रियतम तुम हो!’ भगवान्
सुप्रभात गोपाल सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे!तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: ! हे सत् चित्त आनंद! हे संसार की उत्पत्ति के
आध्यात्मिक विचारकृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! उनकी श्रेष्ठता, कृतज्ञता शब्दों में व्यक्त करना हम जैसे सामान्य व्यक्तियों के लिए असंभव सी
यशोदाजी शिवजी के पास आई है औए कहने लगी -महाराज -अगर भिक्षा कम लगती हो मै आपको कम्बल और कमंडल
शरद ऋतु की पूर्णिमा की रात, भगवान श्री कृष्ण, अपने सबसे प्रिय भक्तों, वृंदावन की गोपियों के साथ अपने सबसे
बर्बरीक (खाटूश्याम) घटोत्कच के पुत्र और भीम के पोते थे. बर्बरीक भगवान शिव के एक बड़े भक्त थे. तपस्या और
जिस प्रकार सोना 18 कैरेट का भी होता है 20 कैरेट का भी होता है 22 का भी होता है
.एक बार कान्हा अपनी सखा मण्डली के साथ वन में खेल रहे थे। सभी सखा अपने सखा कान्हा के साथ