श्री हरि के वाहन गरुड़जी की रोचक कथा!
गरुड़ देव के ये रहस्य आपको आश्चर्यचकित कर देंगे! आखिरकार भगवान विष्णु के वाहन गरूढ़ का क्या रहस्य है? क्यों
गरुड़ देव के ये रहस्य आपको आश्चर्यचकित कर देंगे! आखिरकार भगवान विष्णु के वाहन गरूढ़ का क्या रहस्य है? क्यों
“अरे मैय्या को तो सब पता है..।इनको कैसे पता चला की मैं पिछले जन्मो में एक बार सूकर के रूप
मेरे गुरुवर मेरे गिरिधर प्यारे,दोउ एकहिं हो न सपनेहुँ न्यारे। हरि की कृपा ते मिले गुरुवर प्यारे,गुरु की कृपा ते
गोप्य ऊचुः ।जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजःश्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि ।दयित दृश्यतां दिक्षु तावका-स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते ॥ १॥ शरदुदाशये साधुजातस-त्सरसिजोदरश्रीमुषा दृशा
एक दिन कान्हा जी छुपते छुपाते एक गोपी के घर में प्रवेश हुए। चारो तरफ माखन की मटकी ढुंढ रहे
जय गोपाल, नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपंलसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानम् ।यशोदाभियोलूखलाद्धावमानंपरामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ।।१।। रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तंकराम्भोज-युग्मेन सातंकनेत्रम्।मुहु:श्वास कम्प-त्रिरेखामकण्ठस्थित ग्रैव-दामोदरं भक्तिबद्धम् ।।२।। इतीदृक्
काल हू को काल लोकपाल हू को पालनहारो,सबकौ नियंता सदा रहत सुतंत्र है ।ब्रह्मा सिव विष्णु सेष जोगी जन जतन
गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि जो निरंतर मेरी कथा और नाम स्मरण में प्रीति पूर्वक
बैठी है झरोखे प्यारी कुंज भवन मोंमहलु न पावे पीय ठाढे दरसन कों ।उजारी तें उजारी माथे माँग सोहे गंगा
राणा सांगा के पुत्र और अपने पति राजा भोजराज की मृत्यु के बाद जब संबन्धीयो के मीरा बाई पर अत्याचार