भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य
श्री शुकदेव जी कहते हैं- परीक्षित! अब समस्त शुभ गुणों से युक्त बहुत सुहावना समय आया। रोहिणी नक्षत्र था। आकाश
श्री शुकदेव जी कहते हैं- परीक्षित! अब समस्त शुभ गुणों से युक्त बहुत सुहावना समय आया। रोहिणी नक्षत्र था। आकाश
सबसे पहले कहां और क्यों शुरु हुई जन्माष्टमी मनाने की परम्परा ? जन्माष्टमी व्रत का क्या पुण्य-फल है ? भगवान
कोई गोपी उद्धव पर व्यंग्य करती है। मथुरा के लोगों का कौन विश्वास करे? उनके तो मुख में कुछ
भ्रमर गीत में सूरदास ने उन पदों को समाहित किया है जिनमें मथुरा से कृष्ण द्वारा उद्धव को
श्री हरि: पार्वती जी ने पूछा – ‘मुझे श्रीकृष्ण की महिमा कुछ बताइये |’ शंकर जी ने कहा – ‘देवी
हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा को अत्यंत पवित्र एवं महत्वपूर्ण माना गया है। इन्हीं चारों धामों में से
‘चोरजारशिखामणि:’ इसका अर्थ है कि भगवान् के समान चोर और जार दूसरा कोई है ही नहीं, हो सकता ही नहीं
*एक बार की बात है कियशोदा मैया, प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं! और छड़ी लेकर श्री
श्री बिहारी जी महाराज के प्रिय जिनकी असीम प्रेमाभक्ति के कारण आज लाखों-करोड़ो भावुक भक्तों को श्री बिहारी जी महाराज
श्री हरि: शरतपूर्णिमा की चाँदनी रात में जब भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी बाँसुरी बजानी आरम्भ की, तब उसकी मधुर एवं