भ्रमर गीत पोस्ट – 01
भ्रमर गीत में सूरदास ने उन पदों को समाहित किया है जिनमें मथुरा से कृष्ण द्वारा उद्धव को
भ्रमर गीत में सूरदास ने उन पदों को समाहित किया है जिनमें मथुरा से कृष्ण द्वारा उद्धव को
श्री हरि: पार्वती जी ने पूछा – ‘मुझे श्रीकृष्ण की महिमा कुछ बताइये |’ शंकर जी ने कहा – ‘देवी
हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा को अत्यंत पवित्र एवं महत्वपूर्ण माना गया है। इन्हीं चारों धामों में से
‘चोरजारशिखामणि:’ इसका अर्थ है कि भगवान् के समान चोर और जार दूसरा कोई है ही नहीं, हो सकता ही नहीं
*एक बार की बात है कियशोदा मैया, प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं! और छड़ी लेकर श्री
श्री बिहारी जी महाराज के प्रिय जिनकी असीम प्रेमाभक्ति के कारण आज लाखों-करोड़ो भावुक भक्तों को श्री बिहारी जी महाराज
श्री हरि: शरतपूर्णिमा की चाँदनी रात में जब भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी बाँसुरी बजानी आरम्भ की, तब उसकी मधुर एवं
गृह-गृहतें आई व्रजसुंदरी झूलत सुरंग हिंडोरे। वरण-वरण पहिरे तन सारी नवल-नवल रंग बोरे। झूलत संग लाल गिरिधर के अति छबि
श्री हरिदास…हरियाली अमावस्या तक श्री बिहारी जी महाराज अपने फूल बंगले में विराजमान होते है, फूल बंगले समाप्त होने पर
भक्त भगवान का चिन्तन मनन करता है भगवान का ध्यान धरते हुए भक्त के अन्दर दर्शन की पुकार बन जाती