जीवन में ध्यान का महत्व
आज का प्रभु संकीर्तन।जीवन में ध्यान का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।हमारे ऋषि मुनियों ने ध्यान के बल ही परमात्मा को
आज का प्रभु संकीर्तन।जीवन में ध्यान का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।हमारे ऋषि मुनियों ने ध्यान के बल ही परमात्मा को
1.मूलाधारचक्र :यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह ‘आधार चक्र’ है। 99.9%
The words we use daily are the reasons for creating relationship or breaking the relationship. The words which help to
ज्ञानीजन कहते हैं के आत्मा को केवल आत्मा ही जानता है! पर अज्ञानीजनों का मानना है के यदि देह मनादि
सुदामा का स्नान भोजनादि सब हो चुका था, श्रीकृष्ण अब अपने इस सखा का प्रेम से हाथ पकडे वहाँ ले
आधुनिक जापान के ज़ेन शिक्षक एक प्रसिद्ध गुरु के वंश से आते हैं जो गुडो का शिष्य था। उसका नाम
एक साधक ध्यान में श्री हरि का आत्म चिन्तन करते हुए श्री राम, जय श्री राधे कृष्ण, जय श्री राधे
ध्यान प्रयोग बैठो, ध्यान नाभि का रखो। उठो, ध्यान नाभि का रखो। कुछ भी करो, लेकिन तुम्हारी चेतना नाभि के
आत्मज्ञान ;- 1-ईश्वर के दर्शन नहीं हो सकते। लेकिन चाहो तो स्वयं ईश्वर अवश्य हो सकते हो।ईश्वर को पाने और
आनन्दमय कोश के चार अंग प्रधान हैं।इन साधनों द्वारा साधक अपनी पंचम भूमिका को उत्तीर्ण कर लेता है , तो