
भगवान श्रीराम का शब्दावतार ।।
(श्रीरामचरितमानस)
रामचरितमानस एहि नामा।सुनत श्रवन पाइअ बिश्रामा।। मन करि बिषय अनल बन जरई।होई सुखी जौं एहिं सर परई।। भावार्थ-इसका नाम रामचरितमानस
रामचरितमानस एहि नामा।सुनत श्रवन पाइअ बिश्रामा।। मन करि बिषय अनल बन जरई।होई सुखी जौं एहिं सर परई।। भावार्थ-इसका नाम रामचरितमानस
जय श्री राम ! शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदंब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् |रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिंवन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् | सीता माता
संतों ने जगज्जननी माता सीता के तीन स्वरूप बताए हैं-१. सत्वमय,२. राजसी और३. तामसी। सीताजी का शुद्ध सत्वमय स्वरूप श्रीराम
महाराज दशरथ का जन्म बहुत ही एक अद्भुत घटना है पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि
।श्री राम। १-शुद्ध सच्चिदानन्दघन एक परमात्मा ही सर्वत्र व्याप्त है और अखिल विश्व एवं विश्व की घटनाएँ उसी का स्वरूप
राम- वन- गमन और भरत से धिक्कार खाई पाश्चाताप की आग में जलती कैकयी ने अपने को भवन के कक्ष
दशरथ वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या के रघुवंशी (सूर्यवंशी) राजा थे। वे राजा अज व इन्दुमतीके के पुत्र थेे तथा
साक्षात ब्रह्म जमाता के रूप में….दूल्हे के स्वरूप में भगवान का आदर सत्कार। कितना विहंगम दृश्य है,प्रभु के साक्षात चरण
राजा लोग पहले कमर कसते हैं, माने अपने बल का प्रदर्शन करते हैं, फिर उठते हैं, तब व्याकुल होकर अपने
एक दिन संध्या के समय सरयू के तट पर तीनों भाइयों संग टहलते श्रीराम से महात्मा भरत ने कहा, “एक