रामायण (Ramayan)

“राम की महतारी”

राम- वन- गमन और भरत से धिक्कार खाई पाश्चाताप की आग में जलती कैकयी ने अपने को भवन के कक्ष

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भरत जी ने दो बात कही

जब श्रीराम जी का राज्याभिषेक हुआ, तब एक दिन श्रीराम ने श्रीभरत जी को उलाहना दिया, “तुम इतने उदार और

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हृदय ही प्रभु का निवास

जाकी रही भावना जैसी।प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी।। श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड की यह चौपाई है। जिसके पास जैसा भाव है,

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