
आत्मप्रशंसासे पुण्य नष्ट हो जाते हैं।
महाराज ययातिने दीर्घकालतक राज्य किया था। अन्तमें सांसारिक भोगोंसे विरक्त होकर अपने छोटे पुत्र पुरुको उन्होंने राज्य दे दिया और
महाराज ययातिने दीर्घकालतक राज्य किया था। अन्तमें सांसारिक भोगोंसे विरक्त होकर अपने छोटे पुत्र पुरुको उन्होंने राज्य दे दिया और
मेरा अपना कुछ नहीं पारसी धर्मगुरु रवि मेहरके तीन पुत्र थे। वे तीनोंके तीनों महामारीकी चपेटमें आ गये और अच्छी
प्रेरणाके लघु दीप (1) महात्मा गाँधीकी सत्यनिष्ठा गाँधीजीसे एक अंग्रेजने पूछा कि ‘विपरीत स्थितिमें विरोधियोंके बीच भी आप सही बात
अयोध्या नरेश महाराज हरिश्चन्द्रने स्वप्रमें एक ब्राह्मणको अपना राज्य दान कर दिया था। जब वह ब्राह्मण प्रत्यक्ष आकर राज्य माँगने
एक चाँदनी रातमें दैवयोगसे एक भेड़ियेको एक अत्यन्त मोटे-ताजे कुत्तेसे भेंट हो गयी। प्राथमिक शिष्टाचारके बाद भेड़ियेने कहा- ‘मित्र! यह
पहले तोलो, फिर बोलो एक बालक एक ज्ञानी पुरुषके पास गया और उनसे कहा- ‘देव! मैं बहुत पढ़ता हूँ, लिखता
हम सीख सकते हैं चीनके वे पतले और दुर्गम मार्ग अपनी भयंकरताके लिये प्रसिद्ध हैं। एक ओर मीलों नीचा खड्डा
‘अबे ए जोगड़े! खबरदार, मेरी धोतीको छुआ तो ! जरा हटकर जा, मैंने यह धोती पूजाके लिये सुखायी है!’-दस वर्षके
नाग महाशयकी झोंपड़ी पुरानी हो चुकी थी । उसकी मरम्मत आवश्यक थी। मजदूर बुलाया गया। परंतु जब वह इनके घर
श्रावस्ती नगरीके नगरसेठ मिगार भोजन करने बैठे थे। उनकी सुशीला पुत्रवधू विशाखा हाथमें पंखा लेकर उन्हें वायु कर रही थी।