जितना दीखता है, उतना तो आगे बढ़ो
जितना दीखता है, उतना तो आगे बढ़ो एक सीधे-सादे किसानने पहले-पहल लालटेन जलाकर दो मील दूर किसी गाँवमें जानेके लिये
जितना दीखता है, उतना तो आगे बढ़ो एक सीधे-सादे किसानने पहले-पहल लालटेन जलाकर दो मील दूर किसी गाँवमें जानेके लिये
गुलामकी परीक्षा एक बादशाहने दो गुलाम खरीदे। उनमें से एक गुलाम दीखनेमें अच्छा था और दूसरा बदसूरत था। बादशाहने पहले
मालवेश्वर भोजको राजसिंहासनपर बैठे कुछ ही दिन हुए थे। एक दिन प्रातः काल वे अपने रथपर समासीन होकर राजकीय उद्यानकी
महाभारतका युद्ध जिस दिन समाप्त हो गया, उस दिन श्रीकृष्णचन्द्र पाण्डवोंके साथ उनके शिविरमें नहीं लौटे। वे सात्यकि तथा पाण्डवोंको
पूज्य सदैव सम्माननीय वेद-शास्त्रादि विभिन्न ग्रन्थोंमें पूज्योंका आदर करने तथा उनका कभी अपमान न करनेके अनेक वचन और कितने ही
नासमझ बेटा एक था बूढ़ा पाला, जिंदगीके अनुभवोंसे समझदार । उसका एक जवान बेटा था, बापके बिलकुल विपरीत, नासमझ, शेखीखोर
आत्मज्ञान आवश्यक मनुष्यको एक पंख उग आया-विज्ञानका पंख उसने जोर लगाया और आकाशमें उड़ गया। पर अब वह मुक्त और
दक्षिणेश्वरमें एक दिन एक अवधूत आये। उनके केश और नख बढ़े हुए थे, शरीर धूलिसे सना था, मैली फटी गुदड़ी
हिमालय पर्वतपर एक बड़ी पवित्र गुफा थी, जिसके समीप ही गङ्गाजी बह रही थीं । वहाँका दृश्य बड़ा मनोहर तथा
द्रुपदकथाके निहितार्थ पांचाल देशके राजकुमार द्रुपद और द्रोणने ऋषि भरद्वाजके आश्रममें रहते हुए एक साथ अस्त्र-शस्त्रोंके संचालनकी विद्या सीखी। पिताको