राम से बङा राम का नाम
एक सुपंथ नाम का धर्मात्मा राजा था, एक बार अयोध्या में संत सम्मेलन होने जा रहा था तो संत सम्मेलन
एक सुपंथ नाम का धर्मात्मा राजा था, एक बार अयोध्या में संत सम्मेलन होने जा रहा था तो संत सम्मेलन
एक महान विद्वान से मिलने के लिये एक दिन रोशनपुर के राजा आये। राजा ने विद्वान से पुछा, ‘क्या इस
|| || मैने कुछ दिन पहले सती शब्द की व्याखयापढ़ी थी।आप लोग ध्यान से पढ़िए। किसी भी शब्द को समझने
उत्तर :- परम्परा हैं किकिसी भी मंदिर में दर्शन के बादबाहर आकर मंदिर की पैड़ी याऑटले पर थोड़ी देर बैठना।
एक ब्राह्मण था जो भगवान को भोग लगाये बिना खुद कभी भी भोजन नहीं करता था। हर दिन पहले गोपाल
एक बार शरद पूर्णिमा की शरत-उज्ज्वल चाँदनी में वंशीवट यमुना के किनारे श्याम सुंदर साक्षात मन्मथनाथ की वंशी बज उठी।
ऐसा पढ़ने में आता है कि महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमानजी कभी-कभी खड़े हो कर
श्री राधारमण जी का 481 प्राकट्य उत्सव दिवस श्री गोपाल भट्ट श्री चैतन्य महाप्रभु जी के बड़े कृपापात्र थे ।
बात बहुत पुरानी नहीं है- वृन्दावन में गोस्वामी बिंदुजी महाराज नाम के एक भक्त रहते थे। वे काव्य रचना में
।। नमो आञ्जनेयम् ।। हनुमानजी द्वारा चारों युगों के धर्मों का वर्णन के बारे में महाभारत वनपर्व के ‘तीर्थयात्रापर्व’ के