नरसिंह_अवतार
हिरण्यकश्यपों के घर में भी,भक्त प्रह्लाद जन्म ले आते हैं.. निर्जीव स्तंभों के भीतर भी,जब भगवान प्रकट हो जाते हैं..
हिरण्यकश्यपों के घर में भी,भक्त प्रह्लाद जन्म ले आते हैं.. निर्जीव स्तंभों के भीतर भी,जब भगवान प्रकट हो जाते हैं..
उद्धवजी को समझ नहीं आ रहा था कि व्रज को याद करते ही प्रभुकी आँखे क्यों बह निकलती है।जीव जब
।। श्री: कृपा ।। पूज्य “सद्गुरुदेव” जी ने कहा – आहार का सम्बन्ध न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य से है
एक बार भगवान अपने एक निर्धन भक्त से प्रसन्न होकर उसकी सहायता करने उसके घर साधु के वेश में पधारे।
श्री कृष्ण कृपा। सरजू अपनी पत्नी और मां-बाप के साथ एक गांव में रहता था। गांव में वह पिता के
व्यवसायिक कार्य से लगभग हर रोज दिल्ली जाना होता है। वापसी पर मुरथल के एक ढाबे पर रात्रिभोज हेतु रुकता
राधा केवल गोविन्द की सखी ही नहीं,उनकी प्रेयसी और उनकी प्राणवल्लभ भी हैं। कृष्ण के भीतर जो प्रेम आह्लाद और
प्रार्थना में इतनी शक्ति होती है कि वह परमात्मा के सिंहासन को भी हिला सकती है। “प्रार्थना का मोल और
हमारे देश में बहुत त्योहार मनाये जाते हैं । उन त्योहारों में से एक रंगपंचमी का त्योहार है । हमारे
परम श्रद्धेय स्वामी जी महाराज जी कह रहे हैं कि एक बार सरल हृदय से दृढ़ता पूर्वक स्वीकार कर लें