
कर्म हमारा सच्चा मित्र हैं
मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा ही फल भोगता है। वस्तुत: मनुष्य के द्वारा किया गया कर्म ही प्रारब्ध बनता
मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा ही फल भोगता है। वस्तुत: मनुष्य के द्वारा किया गया कर्म ही प्रारब्ध बनता
देवताओ ओर दैत्यो ने मिल कर जो सागर मंथन किया था और उस मे से जो सामग्री निकली थी उस
.कुलपति स्कंधदेव के गुरुकुल में प्रवेशोत्सव समाप्त हो चुका था।.कक्षाएँ नियमित रूप से चलने लगी थीं।.उनके योग और अध्यात्म संबंधितप्रवचन
एक संत एक छोटे से आश्रम का संचालन करते थे। एक दिन पास के रास्ते से एक राहगीर को पकड़कर
भगवान राम जानते थे कि उनकी मृत्यु का समय हो गया है। वह जानते थे कि जो जन्म लेता है
कोई भक्त,रसिक जब लम्बी गहरी सांस लेकर..आँखों में प्रेमाश्रु भर कर..आह कृष्ण…हे गोविन्द !..मेरे माधव कह कर पुकारता है तो
श्री कृष्ण के प्रति गोपियों का प्रेम इतना अधिक बढ़ गया था कि वह उनका वियोग एक क्षण भी नहीं
( एक शिक्षक के पेट में ट्यूमर (गाँठ) हो गया । उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया गया । अगले
।। नमो आंजनेयम् ।। महाबली रामभक्त श्रीहनुमान जी के अस्त्र-शस्त्रों में पहला स्थान उनकी गदा का है। आपको जानकर हैरानी
छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में कभी भी किसी औरत का नाच गाना नहीं होता था, महिलाओं का हमेशा सम्मान