*जै जै हनुमान गोसाईं*
.सन् 1974-75 की बात हैः जयपुर के पास हनुमान जी का मंदिर है जहाँ हर साल मेला लगता है और
.सन् 1974-75 की बात हैः जयपुर के पास हनुमान जी का मंदिर है जहाँ हर साल मेला लगता है और
–हर हर गंगे! जय जय गंगे पतितपावनी गंगा को देव नदी कहा जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार गंगा स्वर्ग
भगवान श्री राम ने सीता जी के स्वयंवर में गुरु विश्वामित्र जी की आज्ञा से शिवजी का कठोर धनुष तोड़
सरकारी कार्यालय में लंबी लाइन लगी हुई थी। खिड़की पर जो क्लर्क बैठा हुआ था, वह तल्ख़ मिजाज़ का था
.एक बार भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन घूम रहे थे। मार्ग में देखा की एक स्त्री आँखे बंद करके ध्यान
हमेशा की तरह सिमरन करते हुए अपने कार्य में तत्लीन रहने वाले भक्त रविदास जी आज भी अपने जूती गांठने
एक बार बरसाने और आस पास के गांव में अकाल पड़ गया और लोगों को खाने पीने कि चीजों की
।। श्रीहरिः।। आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व दिल्ली में परमेष्ठी नाम का काले रंग का एक कुबड़ा दर्जी
.एक नदी के किनारे दो पेड़ थे। उस रास्ते एक छोटी सी चिड़िया गुजरी और पहले पेड़ से पूछा-बारिश होने
एक नदी तट पर स्थित बड़ी सी शिला पर एक महात्मा बैठे हुए थे। वहाँ एक धोबी आता है किनारे