
नवधा भक्ति
नवधा भगति कहेउ तोहि पाहि। सावधान सुनू धरु मन माहीं।।प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। दूसरी रति मम कथा प्रसंगा।।अर्थ –

नवधा भगति कहेउ तोहि पाहि। सावधान सुनू धरु मन माहीं।।प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। दूसरी रति मम कथा प्रसंगा।।अर्थ –

बंधुओं यह बात लगभग 45- साल पुरानी है। जब मैं अपने घर के बाहर एक चबूतरे पर बैठकर राम चरित्र

रामायणकी शक्तिकी कौन कहे, क्या कहीं नजर आता है ऐसा सम्राट्, साम्राज्य, अवतार या पैगम्बर जो भगवान् श्रीरामकी तुलनामें ठहर

एक गाँव में भोला केवट रहता था। वह भोला ही था इसी से उसका नाम भोला पड़ गया था। कोई

मंदोदरी रावण के साथ आई। रावण के पास खड़ी है। रावण बोला यह मंदोदरी आदि सब जितनी रानियाँ हैं, तुम्हारी

कई लोग ये पूछते हैं कि श्रीराम ने धनुष उठा कर स्वयंवर की शर्त तो पूरी कर ही दी थी,

महायुद्ध समाप्त हो चुका था। जगत को त्रास देने वाला रावण अपने कुटुंब सहित नष्ट हो चुका था। कौशलाधीश राम

सुन्दर प्रसंग है जो पूर्वानुराग की अद्भुत और सौंदर्यमयी अभिव्यक्ति है। इधर गुरू की आज्ञा से श्री राम पुष्प वाटिका

मात पिता के घर में सबकुछ बच्चों का है मात पिता का जीवन है बच्चे। बच्चे घर पर आते हैं

. ये उस समय की बात है जब लंका पर चढ़ाई करने के लिए पूरी वानर सेना सेतु निर्माण