“सीया-रघुवर जी की आरती”
सीया-रघुवर जी की आरती, शुभ आरती कीजिये -२सीस मुकुट काने कुण्डल शोभे -२राम लखन सीय जानकी, शुभ आरती कीजियेसीया-रघुवर जी
सीया-रघुवर जी की आरती, शुभ आरती कीजिये -२सीस मुकुट काने कुण्डल शोभे -२राम लखन सीय जानकी, शुभ आरती कीजियेसीया-रघुवर जी
राम भगवान हैं राम आत्माराम है भगवान राम जगत पिता है। राम हमारी आत्मा की पुकार है। राम को जप
बाहरी आंखें बन्द करलो अन्दर उजाला ही उजाला है दीपक अग्नि घी और बाती से जलाए जाते हैंअन्दर झांक कर
आज मैं अपने मन को दिल को नैनो राम नाम अमृत रस का रसपान कराना चाहती हूं। आत्मा कहती हैं
परमात्मा श्रीराम परम आनंद का स्वरुप हैं । जो श्रीराम से प्यार करता है ,उसका जीवन भी परम आनंद
तुम मंदिर में श्रीराम जी का दर्शन करते हो ,उस समय तुमको लगता होगा कि जैसे मेरे हाथ पैर हैं
आनंद के सागर रघुराई, हैं असीम कण-कण में व्यापक, जो जाना सो मुक्ति पाई। हो कितना अंधकार पुराना, पर प्रकाश
प्रिय तुम रामचरितमानस जरूर पढ़ना ।।……जीवन के अनुबंधों की,तिलांजलि संबंधों की,टूटे मन के तारो की,फिर से नई कड़ी गढ़ना,प्रिय तुम
मेघनाद से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को शक्ति लग जाती है और श्री हनुमानजी उनके लिये संजीवनी का
जब तें रामु ब्याहि घर आए।नित नव मंगल मोद बधाए। भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी। रिधि