
अर्धनारीश्वर पूर्णब्रह्म ।। (शिव महापुराण)
‘शंकर: पुरुषा: सर्वेस्त्रिय: सर्वा महेश्वरी।’ अर्थात्- समस्त पुरुष भगवान सदाशिव के अंश और समस्त स्त्रियां भगवती शिवा की अंशभूता हैं,
(शिव महापुराण)
‘शंकर: पुरुषा: सर्वेस्त्रिय: सर्वा महेश्वरी।’ अर्थात्- समस्त पुरुष भगवान सदाशिव के अंश और समस्त स्त्रियां भगवती शिवा की अंशभूता हैं,
ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन।तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती।। वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने।नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने।आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे।।
(हिंदी काव्य में भाव के साथ करें बहुत ही आनंद दायक और प्रभावी है।) जय शिव शंकर, जय गंगाधर, करुणाकर
शम्भो शङ्कर शान्त शाश्वत शिव स्थाणो भवोमापतेभूतेश त्रिपुरान्तक त्रिनयन श्रीकण्ठ कालान्तक।शर्वोग्राभय भर्ग भीम जगतां नाथाक्षय श्रीनिधेरुद्रेशान महेश्वरेश्वर महायोगीशतुभ्यं नमः।।१।। स्वामिन्
जय महाकाल हर हर महादेव जय भोले नाथ नमः शिवाय|| राम ||विभत्स हूँ .. विभोर हूँ … मैं ज़िंदगी में
“शिवत्व” अर्थात लोक मंगल की वह उच्च मनोदशा जिसमें स्वयं अनेक कष्टों को सहकर भी दूसरों के कष्टों को मिटाने
श्रावण मास में भगवान शिव को नमन करते हुए उनकी छटा के दर्शन करें। शिवजी का वाहन नंदी है, वृषभ
संपूर्ण धरती पर शिव का ही धर्म प्रचलित है :-आदिदेव शिव और गुरु दत्तात्रेय को धर्म और योग का जनक
१- ॐ भोलेनाथ नमः २-ॐ कैलाश पति नमः३-ॐ भूतनाथ नमः४-ॐ नंदराज नमः५-ॐ नन्दी की सवारी नमः६ ॐ ज्योतिलिंग नमः७-ॐ महाकाल
, जय महाकाल, हर महादेव, ॐ नमः शिवाय , जय भोले नाथ , ॐ नमः शिवाय, रूप हूं,, विशाल हूं,,रुद्र