शिवोहम, एक ओमकार
चिदानंद रूपः शिवोहम शिवोहम…मैं मन, बुद्धि, अहंकार और स्मृति नहीं हूँ, न मैं कान, जिह्वा, नाक और आँख हूँ। न
चिदानंद रूपः शिवोहम शिवोहम…मैं मन, बुद्धि, अहंकार और स्मृति नहीं हूँ, न मैं कान, जिह्वा, नाक और आँख हूँ। न
महादेव शिव और देवी पार्वती का एक दूसरे के प्रति अतयन्त दृढ़ प्रेम है जो किसी भी तरह
त्रेतायुग में बना था सिद्धनाथ मंदिर**कानपुर के जाजमऊ में शिवजी का प्रसिद्धमंदिर सिद्धनाथ गंगा के तट पर स्थित है! 5
॥ ॐ #सत्यम शिवम #सुंदरम परम् साक्षी भाव में रहके, निज आनन्द को पाये, काम-क्रोध मद लोभ-मोह, फिर कहीं नजर
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से ऐसे गूढ़ ज्ञान देने का अनुरोध किया जो संसार में किसी भी
. जगत -जननी पार्वतीजी ने एक भूखे भक्त को श्मशान में चिता के अंगारों पर रोटी सेंकते देखा तो वे
भगवान श्री राम ने सीता जी के स्वयंवर में गुरु विश्वामित्र जी की आज्ञा से शिवजी का कठोर धनुष तोड़
हजारो जन्मो के पुण्यफल हो तब शिवालय निर्माण का सौभाग्य प्राप्त होता है कोटि कोटि राजसूय यज्ञ के फल स्वरूप
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर पढ़ेमाता पार्वती एवं भूतभावन भोलेनाथ के विवाह की कथातुलसीदास जी कहते हैंशिव-पार्वती के विवाह की
रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है?महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर का अभिषेक करते भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करें शिव