
महाभाव – श्री बाल कृष्णदास जी
“पुनः महाभाव के सागर में लहर उठी। ये लहर सब कुछ बहा ले गयी, सब कुछ, अब कुछ पता नही

“पुनः महाभाव के सागर में लहर उठी। ये लहर सब कुछ बहा ले गयी, सब कुछ, अब कुछ पता नही

साधकों ! मेरा ये सब लिखने का एक ही उद्देश्य है कि उस दिव्य निकुञ्ज की कुछ झलक आपको मिल

सुनती हूं वृंदावन की याद सबको आ रही लेकिन क्या वास्तव में आ रही है वृन्दावन की महिमा तभी है

ब्रजरानी यशोदा भोजन कराते-कराते थोड़ी सी छुंकि हुई मिर्च लेकर आ गई क्योंकि नन्द बाबा को बड़ी प्रिय थी।
जब मनुष्य की दृष्टि भगवान् पर हो जाती है, वह भगवान् के सम्मुख हो जाता है, भजन में लग जाता

कान्हा नामका एक भंगी था | वह नाली साफ करनेका काम किया करता था | वह भगवान् श्रीकृष्णसे बहुत प्रेम

भगवान हनुमान की तस्वीरों से जुड़ी बातें जिनके बारे में यकीनन हर कोई नहीं जानता है लेकिन अब आप अपनी

प्रेम से वंचित व्यक्ति अस्तित्व के केंद्र से पृथक होकर अकेला जीता है। प्रेम के बिना हर कोई अकेला इकाई

तानसेन बड़े संगीतज्ञ थे। अकबर के सामने एक बार उन्होंने ‘मल्हार’ राग गाया। अकबर उसे सुनकर विह्वल हो गया। अकबर

।। ॐ नमो नारायणाय ।। बड़ा कठिन है परमात्मा को सर्वत्र देखना। अपने ही भीतर नहीं देख सकते, तो बाहर