जीवन में विश्वास

विश्वास मानव जीवन की अनमोल संपदा है। सब कुछ खो जाने पर भी यदि हमने जीवन में अपने विश्वास को नहीं खोया है तो आज नहीं तो कल विश्वास के बल पर उन सब को दुबारा से प्राप्त कर ही लिया जायेगा। विश्वास स्वयं पर होना चाहिए, विश्वास अपने कर्मों पर होना चाहिए और विश्वास परमात्मा पर होना चाहिए। जहाँ विश्वास होता है,वहीं धैर्य भी जन्म ले पाता है और जहाँ धैर्य का जन्म होता है, वहाँ नैराश्य का विलय एवं पुरुषार्थ का उदय भी हो जाता है।

विश्वास के अभाव में ये प्रकृति किसी को कुछ भी नहीं दे सकती है। वृक्ष की प्राप्ति के लिए हमें बीज पर विश्वास होना ही चाहिए और फल की प्राप्ति के लिए हमें वृक्ष पर भी विश्वास होना चाहिए। विश्वास में अदभुत सामर्थ्य है। विश्वास के बल से ही पाण्डवों ने बाहुबल और संख्याबल में बहुत कम होने के बावजूद भी महाभारत जैसे युद्ध को जीतकर अपने खोये हुए स्वाभिमान को पुनः प्राप्त किया।



Faith is a precious asset of human life. If we have not lost our faith in life even after losing everything, then sooner or later we will get it all back on the strength of faith. One should have faith in oneself, one should have faith in one’s actions and one should have faith in God. Where there is faith, patience is also born and where patience is born, despair also disappears and effort also arises.

In the absence of faith this nature cannot give anything to anyone. To get the tree, we must have faith in the seed and to get the fruit, we must have faith in the tree also. There is amazing power in faith. It was through the power of faith that the Pandavas, despite being much less in muscle power and numbers, regained their lost self-respect by winning the war like Mahabharata.

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