भक्ति मार्ग (Bhakti Marg)

सखियों के श्याम (भाग 2)

श्रीहरिः (ब्रह्म बिकानो प्रेमकी हाट) ‘ऐ इला! सुन तो।’ — धीमे स्वरमें श्यामसुंदरने कहा। उनकी बात सुन मैं समीप गयी,

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“braj वृंदावन की महिमा”

वृन्दावन ब्रज का हृदय है जहाँ प्रियाप्रियतम ने अपनी दिव्य लीलायें की हैं। इस दिव्य भूमि की महिमा बड़े बड़े

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“गोपी के नयन”

एक बार श्यामसुन्दर अपना श्रृंगार कर रहे थे। तभी श्यामसुन्दर ने कुछ सोचकर नन्द गाँव की गोपियों को बुलाया और

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प्रेम

प्रेम एक सुबह है तो प्रेम एक शाम है,प्रेम से मुलाकात ही प्रेम का नाम है प्रेम एक छांव है

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