सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका
भगवान राम विभीषण जी को अपने धर्म रथ के बारे में बताते हुए कहते हैं, कि हे विभीषण! विजय हमेशा
भगवान राम विभीषण जी को अपने धर्म रथ के बारे में बताते हुए कहते हैं, कि हे विभीषण! विजय हमेशा
चारो राजकुमारों और नव-वधुओ का अयोध्या राजमहल में प्रवेश.. करहिं आरती बारहिं बारा। प्रेमु प्रमोदु कहै को पारा।।भूषन मनि पट
।। श्लोक-शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदंब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्।रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिंवन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्।। भावार्थ-शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप,
इक्ष्वाकु वंश के गुरु वसिष्ठ जी ने श्री राम की वंशावली का वर्णन किया जो इस प्रकार हैःआदि रूप ब्रह्माठ जी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के
।। सोरठा-प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।। भावार्थ-मैं पवनकुमार श्री हनुमानजी को
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता।। पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम
।। श्रीरामचरितमानस- सुंदरकाण्ड ।।(पंचम सोपान- मंगलाचरण) श्लोक-शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदंब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्।रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिंवन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्।। अर्थ-शान्त, सनातन,
प्रभु श्रीराम का सौंदर्य वर्णनातीत है।प्रसंग – यह प्रसंग उस अवसर का है , जब राजा जनक के पुष्प-वाटिका में
!! जय श्री राम !! हनुमान जी को हजारों साल तक अमर रहने का वरदान क्यों मिला था ? जानिए
।। श्रीराम विष्णु के अवतार हैं, वे आदिपुरुष हैं, जो मानव मात्र की भलाई के लिए मानवीय रूप में इस