रामायण (Ramayan)

श्रीरामचरितमानस- सुंदरकाण्ड ।।
(पंचम सोपान-मंगलाचरण)

।। श्लोक-शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदंब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्‌।रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिंवन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्‌।। भावार्थ-शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप,

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भगवान राम की वंशावली

इक्ष्वाकु वंश के गुरु वसिष्ठ जी ने श्री राम की वंशावली का वर्णन किया जो इस प्रकार हैःआदि रूप ब्रह्माठ जी से मरीचि  का जन्म हुआ। मरीचि के

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रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ।।
(श्रीरामचरितमानस से)

।। सोरठा-प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।। भावार्थ-मैं पवनकुमार श्री हनुमानजी को

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श्रीरामचरितमानस- सुंदरकाण्ड ।।
(पंचम सोपान- मंगलाचरण)

।। श्रीरामचरितमानस- सुंदरकाण्ड ।।(पंचम सोपान- मंगलाचरण) श्लोक-शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदंब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्‌।रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिंवन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्‌।। अर्थ-शान्त, सनातन,

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रामचरितमानस

प्रभु श्रीराम का सौंदर्य वर्णनातीत है।प्रसंग – यह प्रसंग उस अवसर का है , जब राजा जनक के पुष्प-वाटिका में

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