राम जी का चित्र-कूट क्या है
आज भगवान वाल्मीकि जी के पास आए हैं, पूछते हैं, गुरु जी मैं कहाँ रहूँ?वाल्मीकि जी कहते हैं, आप पूछते
आज भगवान वाल्मीकि जी के पास आए हैं, पूछते हैं, गुरु जी मैं कहाँ रहूँ?वाल्मीकि जी कहते हैं, आप पूछते
लंका में हनुमानजी ने आगे बढ़ते हुए एक छोटी कुटिया देखी। “श्रीराम” का नाम कुटीर की दीवार पर अंकित था,
देखा भरत विसाल अति निसिचर मन अनुमानि।बिनु फर सायक मारेउ चाप श्रवन लगि तानि।। सामान्य जनों की तरह, हनुमानजी को
।। श्री रामाय नमः ।।एक दिन जब श्रीरघुनाथ जी एकांत में ध्यानमग्न थे, प्रियभाषिणी श्री कौसल्या जी ने उन्हें साक्षात्
मम कृत सेतु जो दरसनु करिही।सो बिनु श्रम भवसागर तरिही।। प्रभु श्रीराम कहते हैं, जो मेरे बनाए सेतु का दर्शन
।। नमो राघवाय ।। सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा।गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा।। अगुन अरूप अलख अज जोई।भगत प्रेम बस
रामचरितमानस एहि नामा।सुनत श्रवन पाइअ बिश्रामा।। मन करि बिषय अनल बन जरई।होई सुखी जौं एहिं सर परई।। भावार्थ-इसका नाम रामचरितमानस
जय श्री राम ! शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदंब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् |रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिंवन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् | सीता माता
संतों ने जगज्जननी माता सीता के तीन स्वरूप बताए हैं-१. सत्वमय,२. राजसी और३. तामसी। सीताजी का शुद्ध सत्वमय स्वरूप श्रीराम
👉महाराज दशरथ का जन्म बहुत ही एक अद्भुत घटना है पौराणिक धर्म ग्रंथों के आधार पर बताया जाता है कि👉