बुलंद हौसला
बुलंद हौसला ज्याँ पाल सार्त्र फ्रांसके प्रसिद्ध दार्शनिक थे। यद्यपि उनका जीवन कठिनाइयोंसे भरा था, परंतु उन्हें कभी किसीने उदास
बुलंद हौसला ज्याँ पाल सार्त्र फ्रांसके प्रसिद्ध दार्शनिक थे। यद्यपि उनका जीवन कठिनाइयोंसे भरा था, परंतु उन्हें कभी किसीने उदास
किसी राष्ट्रकार्य – धुरन्धर अथवा साधारण से व्यक्तिमें समस्त दुर्गुणोंका अग्रणी अहंकार या अभिमान जब प्रवेश पा जाता है, तब
“मैंने जीवनपर्यन्त पाप ही पाप किये हैं-रग कम्बल और चमड़ेके व्यापारसे ही जीविका चलायी, जिसको लोग अच्छा काम नहीं समझते।
भाई-बहनका आदर्श प्रेम इन्द्रप्रस्थमें राजसूय यज्ञ पूर्ण होनेपर चक्रवर्ती सम्राट् युधिष्ठिर अपने पूज्य गुरुजनों, कुटुम्बियों तथा अभ्यागत नरेशोंके साथ राजसभामें
बंगालके एक छोटे से रेलवे स्टेशनपर ट्रेन खड़ी हुई। स्वच्छ धुले वस्त्र पहिने एक युवकने ‘कुली! कुली!’ पुकारना प्रारम्भ किया।
अप्युन्नतपदारूढपूज्यान् नैवापमानयेत्। इक्ष्वाकूणां ननाशाग्नेस्तेजो वृशावमानतः ॥ (नीतिमञ्जरी 78) इक्ष्वाकु वंशके महीप त्रिवृष्णके पुत्र त्र्यरुणकी अपने पुरोहितके पुत्र वृशजानसे बहुत पटती
राज्यका मूल्य ? चन्देलवंशके राजा शिवलिंगम् अत्यन्त ही न्यायपालक और उदारमना थे। वे अपनी प्रजाको अपनी सन्तानकी तरह प्यार करते
पिता वेदव्यासजीकी आज्ञासे श्रीशुकदेवजी आत्मज्ञान प्राप्त करनेके लिये विदेहराज जनककी मिथिला नगरीमें पहुँचे। वहाँ खूब सजे-सजाये हाथी, घोड़े, रथ और
इंगलैंड नरेश जेम्स द्वितीयका पौत्र प्रिन्स चार्ल्स युद्धमें जार्ज प्रथमके सेनापतिसे पराजित हो गया था और प्राण बचानेके लिये भाग
युधिष्ठिर जुएमें अपना सर्वस्व हार गये थे। छल पूर्वक शकुनिने उनका समस्त वैभव जीत लिया था। अपने भाइयोंको, अपनेको और