दशावतार और विज्ञान
️ एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से विडियो चैट करते वक्त पूछ
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वाराणसी के एक गेस्ट हाउस का एकाउंट है, जहाँ लोग मृत्यु के लिए प्रवेश लेते हैं। इसे ‘काशी लाभ मुक्ति
अबुल अब्बास ईश्वर-विश्वासी त्यागी महात्मा थे; वे किसी से भीख नहीं माँगते, टोपी सीकर अपना गुजारा करते। एक
एक बारकी बात है। एक आदमी मस्जिदमें जाकर भीख माँग रहा था। उसे देखकर जुनेदने कहा- ‘तुम नीरोग और बलवान्
जिन्दगीकी रफ्तारमें एक सबक तेजी से दौड़ती कारपर एक ईंट आकर लगी। कार सवारने गाड़ी रोकी और देखा एक बच्चा
श्री आशुतोष मुखर्जी कलकत्ता हाईकोर्टके जज और विश्वविद्यालयके वाइस चान्सलर थे। उनके मित्र उन्हें विलायत जानेकी सलाह देते थे और
पतिव्रत धर्मका फल एक समयकी बात है, सब प्रकारके तत्त्वोंको जाननेवाली, सर्वज्ञ एवं मनस्विनी शाण्डिली देवलोकमें गयी। वहाँ कैकेयी सुमना
बुलंद हौसला ज्याँ पाल सार्त्र फ्रांसके प्रसिद्ध दार्शनिक थे। यद्यपि उनका जीवन कठिनाइयोंसे भरा था, परंतु उन्हें कभी किसीने उदास
किसी राष्ट्रकार्य – धुरन्धर अथवा साधारण से व्यक्तिमें समस्त दुर्गुणोंका अग्रणी अहंकार या अभिमान जब प्रवेश पा जाता है, तब
“मैंने जीवनपर्यन्त पाप ही पाप किये हैं-रग कम्बल और चमड़ेके व्यापारसे ही जीविका चलायी, जिसको लोग अच्छा काम नहीं समझते।