अपूर्व स्वामिभक्ति
स्वतन्त्र भारतके अन्तिम नरेश पृथ्वीराज युद्धभूमि में पड़े थे। उन्हें इतने घाव लगे थे कि अपने स्थानसे वे न खिसक
स्वतन्त्र भारतके अन्तिम नरेश पृथ्वीराज युद्धभूमि में पड़े थे। उन्हें इतने घाव लगे थे कि अपने स्थानसे वे न खिसक
“महाराज! आपका पैदल जाना कदापि उचित नहीं है। रास्ता ऊखड़-खाबड़ है तथा शान्तिपुरसे नीलाचलतक पैदल जानेसे स्वास्थ्य बिगड़ जायगा।’ शिष्योंने
हमारी गलत चालें भगवान्की नजरमें यहूदी सन्त सिम्शा बनेन अपने पड़ोसीके पापपूर्ण जीवनको देखकर बहुत दुखी होते थे। उनके पड़ोसीको
माँ ईश्वरका प्रतिरूप है डॉo Wayne Dyer ( वायने डायर) का ‘Your Sacred Self (योर सैक्रेड सेल्फ) में दिया निम्नलिखित
साधु मुहम्मद सैयद सच्चे भक्त संत थे। इनके पास कोई भी संग्रहकी वस्तु नहीं रहती थी । यहाँतक कि लंगोटी
धन ही तो बाधा है गोपाल्लव नामक सेठ हर समय धनार्जनके जुगाड़में लगा रहता था। जैसे-जैसे धन-सम्पत्ति बढ़ती जाती थी,
एक साधकने किसी महात्मा के पास जाकर उनसे । प्रार्थना की कि ‘मुझे आत्मसाक्षात्कारका उपाय बताइये।’ महात्माने एक मन्त्र बताकर
स्वामी उग्रानन्दजी बहुत अच्छे संत थे। बड़े सहिष्णु तथा सर्वत्र भगवद्बुद्धि रखनेवाले थे। एक बार आप उन्नाव जिलेके किसी ग्राममें
सहकारका चमत्कार एक-दूसरेकी आपसी मददसे किस प्रकार कार्य सफल हो सकते हैं, इसका बड़ी खूबीके साथ चित्रण करनेवाली उपनिषद्की एक
सत्तूका चमत्कार कहा जाता है, पलामूके शासक भगवन्तराय काफी कुशाग्रबुद्धि तथा विनोदी स्वभावके थे। बात है, सन् 1618ई0 के आस-पासकी।