
आर्यकन्याकी आराध्या
सृष्टिकी सम्पूर्ण पवित्रताकी साकार प्रतिमा निर्दिष्ट करना हो तो कोई भी बिना संकोचके किसी आर्यकुमारीका नाम ले सकता है। मृदुता,

सृष्टिकी सम्पूर्ण पवित्रताकी साकार प्रतिमा निर्दिष्ट करना हो तो कोई भी बिना संकोचके किसी आर्यकुमारीका नाम ले सकता है। मृदुता,

महर्षि आयोदधौम्यके दूसरे शिष्य थे उपमन्यु । गुरुने उन्हें गायें चराने और उनकी रखवाली करनेका काम दे रखा था। ब्रह्मचर्याश्रमका

महात्मा हरिराम व्यासजी घर छोड़कर संवत् 1612 में ओरछासे वृन्दावन चले आये थे। उस समय इनकी अवस्था 45 वर्षकी थी।

कहते हैं कि सम्राट् अशोक से पहलेकी यह बात है – एक अत्यन्त दयालु तथा न्यायी राजा था। उसके राज्यमें

बड़ी मीठी लगती है चाटुकारिता और एक बार जब चाटुकारोंकी मिथ्या प्रशंसा सुननेका अभ्यास हो जाता है, तब उनके जालसे

कर भला तो हो भला सभी मनुष्योंको अपने कर्मोंका फल अवश्य भोगना पड़ता है। अच्छे कर्म करनेका परिणाम सदा शुभ

हनुमान्जी जब लङ्का-दहन करके लौट रहे थे, तब उन्हें समुद्रोल्लङ्घन, सीतान्वेषण, रावण-मद-मर्दन एवं लङ्का-दहन आदि कार्योंका कुछ गर्व हो गया

स्वामी विवेकानन्द परिव्राजकके रूपमें राजस्थानका भ्रमण करते-करते अलवर जा पहुँचे। राजाके दीवान थे मेजर रामचन्द्र वे आध्यात्मिक मनोवृत्तिके व्यक्ति थे।

किसी राजाने एक जगह अपना महल बनवाया। उसके बगलमें एक गरीब बुढ़ियाकी झोंपड़ी थी। झोंपड़ीका धुआँ महलमें जाता था, इसलिये

सन् 1927 में ‘स्टूडेंट्स वर्ल्ड फेडरेशन’ का अधिवेशन मैसूरमें हुआ। अमेरिकाके रेवरेंड मॉट् उसके अध्यक्ष थे। वे जब भारत आये