संतकी सहनशीलता
एक महात्मा जंगलमें कुटिया बनाकर एकान्तमें रहते थे। उनके अक्रोध, क्षमा, शान्ति, निर्मोहिता आदि गुणोंकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई
एक महात्मा जंगलमें कुटिया बनाकर एकान्तमें रहते थे। उनके अक्रोध, क्षमा, शान्ति, निर्मोहिता आदि गुणोंकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई
नेपोलियन एल्बा छोड़कर जब पारिक्लकी ओर जा रहे थे, तब उनके एक सेनापति मरचेराने छः हजार सेना लेकर उनका मार्ग
बात है तेरह सौ वर्षसे भी अधिककी । रत्नोंका व्यापार करनेवाला एक जौहरी था। व्यवसायकी दृष्टिसे वह प्रख्यात रोम नगरमें
“वीर सैनिक! घूम जाओ, आगे बढ़नेपर प्राण चले जायँगे।’ राजकन्याने घोड़ेके सवारको सावधान किया। वह सुन्दर से – सुन्दर वस्त्र
फूल खिलें और कोई मुसकराये मैडम ब्लेवेट्स्की जब संसारकी यात्रापर निकली थीं तो अपने कन्धेपर एक झोला लटकाये रखती थीं।
शब्द वापस नहीं लौटते एक किसानकी एक दिन अपने पड़ोसीसे खूब जमकर लड़ाई हुई। बादमें जब उसे अपनी गलतीका अहसास
किताबी ज्ञान एक गृहस्थका इकलौता बेटा मर गया। माँ बाप खूब रुदन करने लगे। वे किसी तरह शान्त ही नहीं
एक बार भगवान् श्रीकृष्ण हस्तिनापुरके दुर्योधनके। यज्ञसे निवृत्त होकर द्वारका लौटे थे। यदुकुलकी लक्ष्मी उस समय ऐन्द्री लक्ष्मीको भी मात
ध्यानयोगसे बढ़कर दूसरा कोई उत्तम सुखका साधन नहीं पहलेकी बात है, अलर्क नामसे प्रसिद्ध एक राजर्षि थे, जो बड़े ही
निष्काम सेवा एक बार प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीनने एक कुम्हारकी देखा, जो बहुत सुन्दर मिट्टीके बरतन बना रहा था। आइंस्टीनको उसके