जीवनका कम्बल
जीवनका कम्बल दो साधु थे। किसी भक्तने दोनोंको बहुमूल्य गर्म कम्बल उपहारमें दिये दिनभर यात्रा करनेके बाद दोनों साधु रातके
जीवनका कम्बल दो साधु थे। किसी भक्तने दोनोंको बहुमूल्य गर्म कम्बल उपहारमें दिये दिनभर यात्रा करनेके बाद दोनों साधु रातके
‘न देने योग्य गौके दानसे दाताका उलटे अमङ्गल होता है’ इस विचारसे सात्विक बुद्धि-सम्पन्न ऋषिकुमार नचिकेता अधीर हो उठे। उनके
चीनसे भारत आनेवाले यात्री ह्यु-एन-साँग केवल घुमक्कड़ यात्री नहीं थे। वे थे धर्मके जिज्ञासु विद्याकी लालसा ही उन्हें दुर्गम हिमालयके
सत्य और असत्य एक दिन छायाने मनुष्यसे कहा-‘लो देखो, तुम जितने थे, उतने के उतने ही रहे और मैं तुमसे
श्रीसङ्गामजीको तप करते कितने दिन बीत गये। स्त्री, पुत्र एवं जगत्की किसी भी वस्तुके प्रति उनके मनमें आसक्ति नहीं रह
भारत-सावित्री [महाभारतका सार ] महर्षिर्भगवान् व्यासः कृत्वेमां संहितां पुरा । श्लोकैश्चतुर्भिर्धर्मात्मा पुत्रमध्यापयच्छुकम् ॥ धर्ममूर्ति ऋषिप्रवर भगवान् व्यासदेवने पूर्वकालमें महाभारतसंहिताका प्रणयन
मृत्यु तो सृष्टिका अनिवार्य सत्य है एक समयकी बात है, भगवान् बुद्ध श्रावस्ती नगरीमें ठहरे हुए थे। उनकी सायंकालीन सभा
एक सेठ रात्रिमें सो रहे थे। स्वप्नमें उन्होंने देखा कि लक्ष्मीजी कह रही हैं-‘सेठ! अब तेरा पुण्य समाप्त हो गया
प्रसिद्ध बादशाह हारून- अल रशीदके एक लड़केने एक दिन आकर अपने पितासे कहा कि ‘अमुक सेनापतिके लड़केने मुझको माँकी गाली
‘माताजी! इतनी गम्भीरतासे क्या देख रही हैं ?’ ‘कुछ नहीं शिवा! यही कि आस-पास सभी किलोंपर तेरी विजय- वैजयन्ती फहरा