श्रीजगन्नाथाष्टकं ।।
(श्रीमत् शंकराचार्य विरचितं
कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलोमुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः।रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदोजगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु
कदाचित् कालिन्दी तट विपिन सङ्गीत तरलोमुदाभीरी नारी वदन कमला स्वाद मधुपः।रमा शम्भु ब्रह्मामरपति गणेशार्चित पदोजगन्नाथः स्वामी नयन पथ गामी भवतु
विष्णुरुवाचसंसारमोहनस्यास्य कवचस्य प्रजापतिः।ऋषिश्छन्दश्च बृहती देवो लम्बोदरः स्वयम्।।१।। धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः।सर्वेषां कवचानां च सारभूतमिदं मुने।।२।। ॐ गं हुं श्रीगणेशाय स्वाहा मे
सूर्यदेव को जीवनी शक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य से प्राप्त ऊर्जा से ही
।। ।। दक्ष उवाच।गणेशकीलकं ब्रह्मन् वद सर्वार्थदायकम्।मन्त्रादीनां विशेषेण सिद्धिदं पूर्णभावतः।।१।। मुद्गल उवाच।कीलकेन विहीनाश्च मन्त्रा नैव सुखप्रदाः।आदौ कीलकमेवं वै पठित्वा जपमाचरेत्।।२।।
गजाननाय गांगेयसहजाय सदात्मने।गौरीप्रिय तनूजाय गणेशायास्तु मंगलम्।। नागयज्ञोपवीदाय नतविघ्नविनाशिने।नंद्यादि गणनाथाय नायकायास्तु मंगलम्।। इभवक्त्राय चेंद्रादि वंदिताय चिदात्मने।ईशानप्रेमपात्राय नायकायास्तु मंगलम्।। सुमुखाय सुशुंडाग्रात्-क्षिप्तामृतघटाय च।सुरबृंद
दरिद्रता और ऋण के भार से दु:खी व संसार की पीड़ा से व्यथित मनुष्यों के लिए प्रदोष पूजा व व्रत
धनदा उवाचदेवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्।।१।। देव्युवाचब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम्।दरिद्र दलनोपायमंजसैव धनप्रदम्।।२।। शिव उवाचपूजयन् पार्वतीवाक्यमिदमाह
एक समय इंद्रदेव से किसी बात पर रूष्ट होकर देव गुरू ‘बृहस्पति’ स्वर्गलोक त्याग कर चले गए ! असुरों ने
राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र भगवान शिव द्वारा रचित और देवी पार्वती से बोली जाने वाली राधा कृपा कथा श्रीमती राधा
रक्ष रक्ष महादेवि दुर्गे दुर्गतिनाशिनि।मां भक्त मनुरक्तं च शत्रुग्रस्तं कृपामयि।। विष्णुमाये महाभागे नारायणि सनातनि।ब्रह्मस्वरूपे परमे नित्यानन्दस्वरूपिणी।। त्वं च ब्रह्मादिदेवानामम्बिके जगदम्बिके।त्वं