
सप्तश्लोकी पुरुषोत्तम स्तोत्र
(अधिकमास में इस स्तोत्र का नित्य पाठ करके अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करें। भगवान श्रीहरि विष्णु आप सभी का मङ्गल करेंगे।)
(अधिकमास में इस स्तोत्र का नित्य पाठ करके अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करें। भगवान श्रीहरि विष्णु आप सभी का मङ्गल करेंगे।)
प्रथमं तु महादेवं द्वितीयं तु महेश्वरम्।तृतीयं शङ्करं प्रोक्तं चतुर्थं वृषभध्वजम्।।१।। पञ्चमं कृत्तिवासं च षष्ठं कामाङ्गनाशनम्।सप्तमं देवदेवेशं श्रीकण्ठं चाष्टमं तथा।।२।। नवमं
(हिंदी काव्य में भाव के साथ करें बहुत ही आनंद दायक और प्रभावी है।) जय शिव शंकर, जय गंगाधर, करुणाकर
नारद उवाचप्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुः कामार्थ सिद्धये।।१।। पार्वतीनन्दन देवदेव श्रीगणेश जी को सिर झुकाकर प्रणाम करके अपनी
भगवान वेदव्यासजी द्वारा रचित अठारह पुराणों में से एक ‘अग्नि पुराण’ में अग्निदेव द्वारा महर्षि वशिष्ठ को दिये गये विभिन्न
यह माँ महाकाली का स्तोत्र, भोग व मोक्ष प्रदायक, मोहिनी शक्ति देने वाला, अघों (पापों) का नाश करने वाला, शत्रु
कपिश्रेष्ठाय शूराय सुग्रीवप्रियमन्त्रिणे।जानकीशोकनाशाय आञ्जनेयाय मङ्गलम्।।१।। मनोवेगाय उग्राय कालनेमिविदारिणे।लक्ष्मणप्राणदात्रे च आञ्जनेयाय मङ्गलम्।।२।। महाबलाय शान्ताय दुर्दण्डीबन्धमोचन।मैरावणविनाशाय आञ्जनेयाय मङ्गलम्।।३।। पर्वतायुधहस्ताय राक्षःकुलविनाशिने।श्रीरामपादभक्ताय आञ्जनेयाय मङ्गलम्।।४।।
यह महालक्ष्मी हृदय स्तोत्र का प्रभावशाली लघुरुप है। भगवती महालक्ष्मी के पूजन में लक्ष्मी का आवाहन करने हेतु इसे पढ़ें।
हनुमानञ्जनासूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।रामेष्ट: फलगुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम:।। उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।। एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
जय कामेशि चामुण्डे जय भूतापहारिणि।जय सर्वगते देवि कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।। विश्वमूर्ते शुभे शुद्धे विरुपाक्षि त्रिलोचने।भीमरुपे शिवे विद्ये कामेश्वरि नमोऽस्तु ते।।