
भगवान् की नवधा भक्ति के -नौ आचार्य हैं ।
1- “श्रवणभक्ति”के आचार्य “महाराज परिक्षित” हैं ।2- “कीर्तन” के आचार्य “श्री शुकदेव जी” हैं ।3- “स्मरण भक्ति” के आचार्य “प्रह्लाद

1- “श्रवणभक्ति”के आचार्य “महाराज परिक्षित” हैं ।2- “कीर्तन” के आचार्य “श्री शुकदेव जी” हैं ।3- “स्मरण भक्ति” के आचार्य “प्रह्लाद

मीरा जी जब भगवान कृष्ण के लिए गाती थी तो भगवान बड़े ध्यान से सुनते थे। सूरदास जी जब पद

तुम्हारे भाव के अनुरूप ही प्रभु के दर्शन तुम्हें प्राप्त होंगे। तुम जिस भाव में, जिस रूप में उस प्रभु

!! †* बधाई हो ! बधाई हो ! नाचती गाती गोपियाँ लौट रही थीं नन्दालय से । पूतना देख रही

श्री राधा कितना सुंदर भाव है प्रेम ॥संसार में प्रेम को सर्वाधिक मधुर भावना माना जाता है ॥ जबकी संसार

एक दिन द्वारिका में ,मीरा एक ऐसे दुखी व्यक्ति जो पुत्र की मृत्यु के पश्चात हताश हो सन्यास लेना चाहता

. “सबसे बड़ा भक्त” एक बार अर्जुन को अहंकार हो गया कि वही भगवान् का सबसे बड़ा भक्त है।

मुझे नही पता था, की जिंदगी को कैसे जिया जाता है, जैसे सब लोग खाना पीना सोना घूमना फिरना ये

बचपन से आप सुनते आये होंगे कि जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़ा, तब-तब भगवान ने किसी ना किसी रूप में

स्वामी राम सुख दास जी महाराज जी कहते है जिस समय मृत्यु आयेगी उस समय स्नेह रखने वाले रो देंगे