🕉️””” परिक्रमा “””🕉️
परिक्रमा मंत्र—:परिक्रमा शुरू करने से पहले आप इस मंत्र को एक बार संस्कृत या हिंदी में बोल सकते हैं-: “ऊँ
परिक्रमा मंत्र—:परिक्रमा शुरू करने से पहले आप इस मंत्र को एक बार संस्कृत या हिंदी में बोल सकते हैं-: “ऊँ
प्रेम आत्मा को परमात्मा से जोड़ने वाली कड़ी है। प्रेम अलौकिक तत्व है और विशुद्ध प्रेम केवल परमात्मा के साथ
अनेकों जन्म मरण के चक्र से होते हुए जीव को मनुष्य योनि मिलती है।मनुष्य योनि जीव के कल्याण हेतू होती
देखिये, जानिए और समझिए कि भारत के सभी वस्तुओं को कैसे-कैसे नष्ट किया गया, पूरा अवश्य पढ़ें…… ◆ 12:00 बजने
1 भगवान के नाम रस मे प्रीति बढ़ेगी.. चिंता, दुःख मिटते , पाप नाश होते तो भगवान मे आनंद आने
भक्त भगवान का चिन्तन मनन करते हुए भगवान का बन जाना चाहता है। अपने इष्ट का ध्यान करना अपने भगवान
एक बार शुकदेव जी के पिता भगवान वेदव्यास जी महाराज कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक
.एक व्यक्ति की नई नई शादी हुई और वो अपनी पत्नि के साथ वापिस आ रहे थे !.रास्ते में वो
ठाकुर जी के हस्ताक्षर जो भक्त का रूप धारण कर के न्यायालय में किये , आज भी उसकी प्रतिलिपि भगत
सूरध्वज ब्राह्मण वंशी राजा मित्रसेन बादशाह के प्रधान दीवान थे। वे महान् धर्मात्मा तथा उदार थे। अतुल सम्पत्ति होने पर