हर इंसान का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है और हमे जीने के लिए हर दिन इन पांचों तत्वों की जरूरत के अनुसार पूर्ति करनी पड़ती है तभी हमारा शरीर संतुलित रहता है।

पहला तत्व है भूमि तत्व जिसका संबंध आपके मूलाधार चक्र से है जो आपके शरीर में शक्ति का मूल केंद्र है, ये आपके शरीर का पिलर भी है। आप जैसा भोजन शरीर को दोगे वैसा ही शक्ति इस चक्र में स्टोर होगी इसलिए शरीर में शुद्ध चीजे ही डाले । इस चक्र को संतुलित रखने के लिए सुबह सुबह मिट्टी पर नंगे पांव चले इससे आपकी मूलाधार चक्र संतुलित रहेगा । दूसरा तत्व है स्वाधिष्ठान चक्र जो जल से संबंधित है जिसका संबंध पवित्रता से है। इसलिए हमेशा शुद्ध जल ही पिए, जैसा पानी पीजिएगा वैसा वाणी बोलिएगा । शरीर में अधिकांश रोग दूषित पानी से ही होता है इसके संतुलन के लिए हमेशा शुद्ध बोलो, सत्य बोलो, मीठा बोलो प्रेम से बोलो और धीरे बोलो। तीसरा तत्व है अग्नि तत्व जो मणिपुर चक्र से संबंधित है इसके सक्रिय होने पर आपके भीतर संतोष धन का अभिर्भाव होगा जो आपको परम सुख की ओर ले जाएगा इसके संतुलन के लिए सुबह में उगते सूर्य को नमस्कार करें और उनके रोशनी को धारण करे इससे आपका मणिपुर चक्र संतुलित रहेगा और अग्नि तत्व की शुद्धि होगा। चौथा तत्व है वायु तत्व जो अनाहत चक्र से संबंधित है इसके संतुलन के लिए सूर्योदय से पूर्व टहले साथ ही गहरी सांस ले और धीरे धीरे छोड़े, सभी जीवों से प्रेम करे। अगला तत्व है आकाश तत्व इसे संतुलित रखने के लिए अपने भीतर के भाव को निर्मल रखे जितना अपना भाव शुद्ध और पवित्र रखोगे आपका आकाश तत्व उतना ही संतुलित रहेगा, जिससे आपका जीवन सुखमय और शांतिमय रहेगा। अपनी चेतना का उत्थान या पतन केवल आप पर निर्भर है।

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