दुख और सुख

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अगर दुःख नहीं होगा तो सुख कहाँ से उत्पन्न होगी।
अगर दर्द नहीं होगा दया कहाँ से उत्पन्न होगी।
अगर बुराई नहीं होगी तो अच्छाई कहाँ से उत्पन्न होगी।
अगर निराशा नहीं होगी तो आशा कहाँ से उत्पन्न होगी।
अगर झूठ नहीं होगा तो सच कहाँ से उत्पन्न होगी।
अगर मौत नहीं होगा तो जिंदगी कहाँ से उत्पन्न होगी।
अगर अँधेरा नहीं होगा तो सवेरा कहाँ से उत्पन्न होगी
अगर गम नहीं होगा तो खुशी कहाँ से उत्पन्न होगी
पतझड़ नहीं होगा तो नए पत्ते कहाँ से उत्पन्न होगी आदि जैसे जोड़े मालिक ने इसलिए बनाया है।
मालिक ने जो भी बनाया है। उसका कोई ना कोई कारण है अब कौन सा जोड़ा कब,किस समय और किसको  पहनाना है कौन कब किसके लायक है ये तो मालिक आपके मन की सुंदरता को देखकर आपके कर्मों को देखकर ही पहनाता है।
 



If there is no sorrow, then from where will happiness arise? If there is no pain, from where will mercy arise? If there is no evil, then where will the good come from? If there is no despair, then where will hope arise? If there is no lie then from where will the truth arise? If there is no death, then from where will life arise? If there is no darkness, then from where will the morning arise? If there is no sorrow, where will happiness arise? If there is no autumn, then from where will new leaves arise etc. Like this pair the owner has made because of this. Whatever the owner made. There is some reason for that, now which pair is to be worn when, at what time and whom to wear, who is worthy of whom when, seeing the beauty of your mind, the owner wears it only after seeing your deeds.

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