विस्तार है आपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ
विस्तार है आपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ
नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई
निर्लज्ज भाव से बहती हो क्यूँ
इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ
विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..
अनपढ़ जन, अक्षरहिन
अनगीन जन, खाद्यविहीन
नेत्रविहीन दिक्षमौन हो क्यूँ
इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ
विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार.
व्यक्ति रहे व्यक्ति केंद्रित
सकल समाज व्यक्तित्व रहित
निष्प्राण समाज को छोड़ती न क्यूँ
इतिहास की पुकार, करे हुंकार
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को
सबल-संग्रामी, समग्रोगामी
बनाती नहीं हो क्यूँ
विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार.
रुदस्विनी क्यूँ न रहीं
तुम निश्चय चितन नहीं
प्राणों में प्रेरणा देती न क्यूँ
उनमद अवमी कुरुक्षेत्रग्रमी
गंगे जननी, नव भारत में
भीष्मरूपी सुतसमरजयी जनती नहीं हो क्यूँ
विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार..
विस्तार है अपार, प्रजा दोनों पार
करे हाहाकार, निःशब्द सदा
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ
ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम
गंगा तुम, ओ गंगा तुम
गंगा… बहती हो क्यूँ
The expansion is immense, the subjects are beyond both
always cry silently
Oh Ganga you, why does the Ganges flow?
The expansion is immense, the subjects are beyond both
always cry silently
Oh Ganga you, why does the Ganges flow?
Morality destroyed, humanity corrupted
why do you flow shamelessly
call of history
Oh the edge of the Ganges, to the weak
strong-willed, all-embracing
why don’t you make
The expansion is immense, the subjects are beyond both..
illiterate people, letterless
the homeless, the foodless
blind blind why
call of history
Oh the edge of the Ganges, to the weak
strong-willed, all-embracing
why don’t you make
The expansion is immense, the subjects are beyond both.
person centered
total society without personality
Why not leave the soulless society
call of history
Oh the edge of the Ganges, to the weak
strong-willed, all-embracing
why don’t you make
The expansion is immense, the subjects are beyond both.
why didn’t Rudaswini stay
you definitely don’t mind
Why not inspire in life
Unmad Avami Kurukshetragrami
Gange Janani, in New India
Why are you not born in the form of Bhishma?
The expansion is immense, the subjects are beyond both..
The expansion is immense, the people cross both
Make a ruckus, silent forever
Oh Ganga you, why does the Ganges flow
Oh Ganga you, O Ganga you
You Ganga, Oh Ganges You
Why is the Ganges flowing?