जिन्हो घर झुमते हाथी , हजारों लाखों थे साथी
उन्हीं को खा गई माटी , तु खुशकर नींद क्यों सोया
नकारा कुचका बाजै , कि मारु मौत का बाजै
ज्यों सावन मेघला गाजै
तु खुशकर …
जिन्हो घर लाल और हीरे , सदा मुख पान के बीड़े
उन्हीं को खा गए कीड़े
तु खुशकर …
जिन्हों घर पालकी घोड़े , जरी जखफ्त के जोड़े ,
वहीं अब मौत ने तोड़े
तु खुशकर …
जिन्हों संग नेह था तेरा , किया उन खाक में डेरा,
न फिर करने गये फेरा
तु खुशकर…
The elephants who were swinging at home, there were thousands of millions of companions
The soil ate them, why did you sleep happily
Nakaara kuchka baajai, that maru death ka baajai
Jyon Sawan Meghla Gajai
you happy…
Whose house is red and diamonds, always the mouth of the paan
worms ate them
you happy…
Those who have palanquin horses, pairs of Zari Jakhaft,
Where now death broke
you happy…
Those who loved you, did camp in those areas,
did not go again
you happy…