जब भी विपता आई मैंने श्याम को याद किया,
खाटू वाले श्याम का ही मैंने मुख से नाम लिया,
दीं दयालु के होते जब था मन गबराया,
देख मेरी व्याकुलता को बाबा भी रुकना पाया,
वो लीले चढ़ कर आया श्याम न रुक पाया,
ठोकर जितनी खाई मैंने अपने जीवन में,
हस्ता था बहार से पर मैं रोता था मन मे,
मेरे मन की पीड़ा को जब कोई पड़ न पाया,
देख मेरी व्याकुलता को बाबा भी रुकना पाया,
वो लीले चढ़ कर आया श्याम न रुक पाया,
कलयुग के अवतारी बाबा भी ये कहते है,
कर्मो के कारन मेरे प्रेमी दुःख सेह्ते है,
अपनी करनी पर मायूसी पर था जब मैं पछताया,
देख मेरी व्याकुलता को बाबा भी रुकना पाया,
वो लीले चढ़ कर आया श्याम न रुक पाया,
जिम्मेदारी थी मुझपे परिवार चलाने की,.
लेकिन क्या थी लाचारी हिमत न बताने की,
हारे नैनो में प्रकाश के जब कटरा बेह आया
देख मेरी व्याकुलता को बाबा भी रुकना पाया,
वो लीले चढ़ कर आया श्याम न रुक पाया,
Whenever adversity came, I remembered Shyam,
I took the name of the Khatu Wale Shyam from my mouth.
When I was merciful,
Seeing my anxiety, Baba was also able to stop.
Shyam could not stop,
The more I stumbled in my life,
There was laughter from outside but I used to cry in my mind,
When no one could feel the pain of my heart,
Seeing my anxiety, Baba was also able to stop.
Shyam could not stop,
Baba incarnation of Kaliyuga also says this,
Due to karma my lover is in pain,
I was in despair at my actions when I repented,
Seeing my anxiety, Baba was also able to stop.
Shyam could not stop,
The responsibility was on me to run the family.
But what was the helplessness of not telling the courage,
When the light in the lost nano came to a halt
Seeing my anxiety, Baba was also able to stop.
Shyam could not stop,