फाल्गुन के मेले में मुझको बुलाकर

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फाल्गुन के मेले में मुझको बुलाकर…
बैठा तू भक्तों का जमघट लगाकर…
कैसे मिलूं तुमसे श्याम…
तू ही बता मेरे श्याम…

कल तेरे चर्चे बाजारों में होंगे..
खाटू के रंगीं नजारों में होंगे..
फूलों के रथ पे, निकलेगी झांकी..
फिर भी ललक मेरी आंखों में होगी..

फाल्गुन के मेले में मुझको बुलाकर…
बैठा तू भक्तों का जमघट लगाकर…
कैसे मिलूं तुमसे श्याम…
तू ही बता मेरे श्याम…

आया हूं मैं भी तो दुनिया से लड़ के…
खाटू में तेरा मैं दर्शन करूंगा…
घर से मैं निकला था इस जिद पे अड़ के…
झोली मैं खाली दर पे भरूंगा…

फाल्गुन के मेले में मुझको बुलाकर…
बैठा तू भक्तों का जमघट लगाकर…
कैसे मिलूं तुमसे श्याम…
तू ही बता मेरे श्याम…

तुझको तो प्रेमी यहां लाखों मिलेंगे…
हाथों में लेकर निशान चलेेंगे…
पर मेरी कश्ती का, इक तू ही मालिक…
बिन तेरे कैसे मैं जिन्दा रहूंगा…

फाल्गुन के मेले में मुझको बुलाकर…
बैठा तू भक्तों का जमघट लगाकर…
कैसे मिलूं तुमसे श्याम…
तू ही बता मेरे श्याम…

मेरी मिन्नतों को तू ठुकरा दे चाहे…
तुझसे कभी न मैं शिकवा करूँगा…
आँखों में बसती है तस्वीर तेरी…
सारी उमर तेरी पूजा करूँगा…

भेजेगा लेकिन, क्या मुझको रुला कर…
अपने इस बेटे को, दिल से भुला कर…
सच सच बता मेरे श्याम…
क्या है खता मेरी श्याम…

फाल्गुन के मेले में मुझको बुलाकर..
बैठा तू भक्तों का जमघट लगाकर..
कैसे मिलूं तुमसे श्याम..
तू ही बता मेरे श्याम..

– रचनाकार
अमित अग्रवाल ‘मीत’

Inviting me to the fair of Falgun…
You sat by gathering of devotees…
how can i meet you shyam…
You tell me my shyam…

Tomorrow your discussions will be in the markets..
Khatu will be in the colorful eyes..
On the chariot of flowers, the tableau will come out..
Still there will be longing in my eyes..

Inviting me to the fair of Falgun…
You sat by gathering of devotees…
how can i meet you shyam…
You tell me my shyam…

I have come to fight with the world…
I will see you in Khatu…
I came out of the house because of this stubbornness…
I will fill the bag at the empty rate…

Inviting me to the fair of Falgun…
You sat by gathering of devotees…
how can i meet you shyam…
You tell me my shyam…

You will find millions of lovers here…
Will carry marks in hands…
But of my kayak, you are the owner…
How will I live without you…

Inviting me to the fair of Falgun…
You sat by gathering of devotees…
how can i meet you shyam…
You tell me my shyam…

Whether you turn down my requests…
I will never teach you…
The picture resides in your eyes…
I will worship you all my life…

Will send but, will make me cry…
Forgetting this son from my heart…
Tell the truth my shyam…
What’s wrong with my shyam…

Inviting me to the fair of Falgun..
You sat by gathering of devotees..
how can i meet you shyam..
You tell me my shyam..

– creator
Amit Agarwal ‘Meet’

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