चतुर्भुजा माता तेरा धरे जो दिल से ध्यान ,
पूरण हो सब कामना , पूरण हो सब काम |
संख-चक्र गदा पदम् लिए बैठी मंदिर माय ,
पांच रूप में विराजती शोभा वरणी ना जाए |
मात श्री चतुर्भुजा की जय , फतेहपुर वाली मईया की जय |
जय जय जय चतुर्भुजा माता , सच्चे मन से जो भी ध्याता ,
श्रद्धा से झुक जाता माथा , जो भी तेरे शरण में आता |
फतेहपुर के माय तिहारो , मंदिर बन्यो है जग स्यूं न्यारो |
मंदिर माहि आप बिराजो , भगतां रा सब संकट काटो |
चार भुजा की छवि अति प्यारी , दर्शन को आते नर-नारी |
शंख चक्र गदा पदम् है सोवे , भगतां रै मनड़े ने मोहे |
शीश मुकुट मणियों की माला , गल सोवै बैजंती माला |
पांच रूप के दर्शन पाकर , धन्य हुआ हर भगत यहां पर |
तू पुत्र दायनी , तू महालक्ष्मी , तू महाकाली महा सरस्वती |
तू त्वरिता माँ शेरावाली , तू ही चार भुजाओं वाली |
बाझणियाँ तो पुत्र खिलावे , निर्धनियाँ पै धन बरसावे |
काली बनकर कष्ट मिटावे , शारदा बन तू ज्ञान बढ़ावे |
त्वरिता माँ तुरंत फलदायी , मात चतुर्भुजा तू कहलायी |
जब जब संकट की घड़ी आयी , लाज बचाने दौड़ी आयी |
कोई पैदल चल कर आवे , लुड़ लुड़ कर कोई धोक लगावे |
लाल ध्वजा मंड पे लहरावे , नारेला की भेंट चढ़ावे |
मंगल करनी हे सुखदायी , हे जगदम्बे हे महामाई |
संकट में तू दौड़ी आई , जग ने तेरी महिमा गाई |
तू कल्याणी तू वरदानी , चतुर्भुजा माँ कुलजा भवानी |
तेरी महिमा जिसने गायी , तूने उसकी बिगड़ी बनायी |
मरुधर की माटी जठे आप बनायो धाम ,
धन्य हुयो फतेहपुर नगर , थारे नाम स्यु है पहचान |
मात श्री चतुर्भुजा की जय , फतेहपुर वाली मईया की जय |
लाल चुनरिया चम् चमके , मुख मंडल पर तेज है दमके |
नैन तेरे करुणा के सागर , सारी सृष्टि भरती है गागर |
माथे की बिंदिया का तेज निराला , टीका है सूरज का उजाला |
तेरे आँचल की शीतल छाया , भगतों पर करना महामाया |
हाँथ में कंगना खन-खन खनके , पाँव की पायल छन छन छनके |
सिंह सवारी लगती है प्यारी , हम तेरी बगिया के फुलवारी |
नित नित हो अभिषेक तुम्हारा , नित नया हो श्रृंगार तुम्हारा |
द्वार तेरे माँ नौबत बाजे , छप्पन व्यंजन भोग लगावे |
शुक्ल अष्टमी ज्योत जगावे , सीरा पूड़ी को भोग लगावे |
सिंघल गोत्र की तू कुलदेवी , कुल की नईया तू ही खेती |
सारस्वत जी सेवा रत हैं , माता तेरे सच्चे भगत हैं |
जात जड़ूला दर पे होते , हर एक कार्य सफल यहां होते |
कंचन थाल कपूर की बाती , ज्योत जले माँ की दिन-राति |
जो पढ़े चतुर्भुजा चालीसा , मात कभी ना लेती परीक्षा |
रत्न जड़ित सिंघासन बैठी , धूप दीप से पूजा होती |
चूड़ा चूनड़ महावर भावे , पुष्पो की बौछार हो माथे |
शक्ति स्वरूपा बैठी मईया , जग की पार लगाती नईया |
माँ के दर्शन नित्य करे जो , उसकी हर विपदाएं हरे वो |
अन्न धन से भण्डार माँ भरती , सबका मंगल मईया करती |
जो भी तेरी शरण में आता , वो भी मनवांछित फल पाता |
फतेहपुर के बीच में मंदिर बन्यो विशाल , चतुर्भुजा माता मेरी बैठी आसन डाल |
भक्त आज तुमसे कहे सबकी पुराज्यो आस , पूर्ण करो मनोकामना टूटे ना विश्वास |
मात श्री चतुर्भुजा की जय , फतेहपुर वाली मईया की जय |
जय अम्बे जय जगदम्बे , जय अम्बे जय जगदम्बे |
जय अम्बे जय जगदम्बे , जय अम्बे जय जगदम्बे |
स्वरसौरभ मधुकर
चतुर्भुजा माता तेरा धरे जो दिल से ध्यान ,
पूरण हो सब कामना , पूरण हो सब काम |
संख-चक्र गदा पदम् लिए बैठी मंदिर माय ,
पांच रूप में विराजती शोभा वरणी ना जाए |
मात श्री चतुर्भुजा की जय , फतेहपुर वाली मईया की जय |
जय जय जय चतुर्भुजा माता , सच्चे मन से जो भी ध्याता ,
श्रद्धा से झुक जाता माथा , जो भी तेरे शरण में आता |
फतेहपुर के माय तिहारो , मंदिर बन्यो है जग स्यूं न्यारो |
मंदिर माहि आप बिराजो , भगतां रा सब संकट काटो |
चार भुजा की छवि अति प्यारी , दर्शन को आते नर-नारी |
शंख चक्र गदा पदम् है सोवे , भगतां रै मनड़े ने मोहे |
शीश मुकुट मणियों की माला , गल सोवै बैजंती माला |
पांच रूप के दर्शन पाकर , धन्य हुआ हर भगत यहां पर |
तू पुत्र दायनी , तू महालक्ष्मी , तू महाकाली महा सरस्वती |
तू त्वरिता माँ शेरावाली , तू ही चार भुजाओं वाली |
बाझणियाँ तो पुत्र खिलावे , निर्धनियाँ पै धन बरसावे |
काली बनकर कष्ट मिटावे , शारदा बन तू ज्ञान बढ़ावे |
त्वरिता माँ तुरंत फलदायी , मात चतुर्भुजा तू कहलायी |
जब जब संकट की घड़ी आयी , लाज बचाने दौड़ी आयी |
कोई पैदल चल कर आवे , लुड़ लुड़ कर कोई धोक लगावे |
लाल ध्वजा मंड पे लहरावे , नारेला की भेंट चढ़ावे |
मंगल करनी हे सुखदायी , हे जगदम्बे हे महामाई |
संकट में तू दौड़ी आई , जग ने तेरी महिमा गाई |
तू कल्याणी तू वरदानी , चतुर्भुजा माँ कुलजा भवानी |
तेरी महिमा जिसने गायी , तूने उसकी बिगड़ी बनायी |
मरुधर की माटी जठे आप बनायो धाम ,
धन्य हुयो फतेहपुर नगर , थारे नाम स्यु है पहचान |
मात श्री चतुर्भुजा की जय , फतेहपुर वाली मईया की जय |
लाल चुनरिया चम् चमके , मुख मंडल पर तेज है दमके |
नैन तेरे करुणा के सागर , सारी सृष्टि भरती है गागर |
माथे की बिंदिया का तेज निराला , टीका है सूरज का उजाला |
तेरे आँचल की शीतल छाया , भगतों पर करना महामाया |
हाँथ में कंगना खन-खन खनके , पाँव की पायल छन छन छनके |
सिंह सवारी लगती है प्यारी , हम तेरी बगिया के फुलवारी |
नित नित हो अभिषेक तुम्हारा , नित नया हो श्रृंगार तुम्हारा |
द्वार तेरे माँ नौबत बाजे , छप्पन व्यंजन भोग लगावे |
शुक्ल अष्टमी ज्योत जगावे , सीरा पूड़ी को भोग लगावे |
सिंघल गोत्र की तू कुलदेवी , कुल की नईया तू ही खेती |
सारस्वत जी सेवा रत हैं , माता तेरे सच्चे भगत हैं |
जात जड़ूला दर पे होते , हर एक कार्य सफल यहां होते |
कंचन थाल कपूर की बाती , ज्योत जले माँ की दिन-राति |
जो पढ़े चतुर्भुजा चालीसा , मात कभी ना लेती परीक्षा |
रत्न जड़ित सिंघासन बैठी , धूप दीप से पूजा होती |
चूड़ा चूनड़ महावर भावे , पुष्पो की बौछार हो माथे |
शक्ति स्वरूपा बैठी मईया , जग की पार लगाती नईया |
माँ के दर्शन नित्य करे जो , उसकी हर विपदाएं हरे वो |
अन्न धन से भण्डार माँ भरती , सबका मंगल मईया करती |
जो भी तेरी शरण में आता , वो भी मनवांछित फल पाता |
फतेहपुर के बीच में मंदिर बन्यो विशाल , चतुर्भुजा माता मेरी बैठी आसन डाल |
भक्त आज तुमसे कहे सबकी पुराज्यो आस , पूर्ण करो मनोकामना टूटे ना विश्वास |
मात श्री चतुर्भुजा की जय , फतेहपुर वाली मईया की जय |
जय अम्बे जय जगदम्बे , जय अम्बे जय जगदम्बे |
जय अम्बे जय जगदम्बे , जय अम्बे जय जगदम्बे |
स्वरसौरभ मधुकर