सुबह करीब है, तारों का हाल क्या होगा
सहर करीब है, तारों का हाल क्या होगा
अब इंतज़ार के मारो का हाल क्या होगा
तेरी निगह ने प्यारे कभी ये सोचा है
तेरी निगाह ने ज़ालिम कभी यह सोचा है
तेरी निगाह के मारों का हाल क्या होगा
जब से उन आँखों से ऑंखें मिली
हो गयी है तभी से ये बावरी ऑंखें
नहीं धीर धरे अति व्याकुल है
उठजाती है ये कुल कावेरी ऑंखें
कुछ जादू भरी कुछ भाव भरी,
उस सांवरे की है सांवरी ऑंखें
फिर से वह रूप दिखादे कोई
हो रही है बड़ी उतावली ऑंखें तेरी
ए मेरे पर्दा नाशी अब तो यह हटा पर्दा
तेरे दर्शन के दीवानो का हाल क्या होगा
मुकाबिला है तेरे हुस्न का बहारों से
न जाने आज बहारों का हाल क्या होगा
नकाब उनका उलटना तो चाहता हूँ मगर
बिगड़ गए तो नज़ारों का हाल क्या होगा
Morning is near, what will happen to the stars
The city is near, what will happen to the stars?
Now wait what will happen
Your eyes have ever thought dear
Your eyes have ever thought this cruel
What will happen to the eyes of your eyes
Ever since those eyes met
Since then these Bawri eyes
No patience is very disturbed
These total Kaveri eyes get up
Some magic, some sentimental,
That dusk has dark eyes
show that form again
Your eyes are getting very hasty
A my veil destroyer now so remove this curtain
What will be the condition of the lovers of your darshan
There is a match for your beauty
Don’t know what will happen to the springs today
I want to reverse the mask but
If it deteriorates, what will happen to the scenery?