चाहे पूजा करो या इबादत करो, दिल लगाने की सबकी अदा एक है,
कोई हिन्दू हो सिख या मुसलमान हो, पालने वाले सबका खुद एक है,
कोई इंसान भी इंसान को क्या देता है,
आदमी सिर्फ बहाना है खुदा देता है,
जब वो देता है तो ढेरों के ढेर देता है,
जब वो लेता है तो चमड़ी भी उदेड़ देता है,
हिन्दू का ये कहना है मुसलमान बुरा है,
मुसलमान का कहना है कि हिन्दू ही बुरा है,
हिन्दू ही बुरा है न मुसलमान बुरा है,
आ जाये बुराई पे तो इंसान बुरा है,
कोई सूफ़ी बना कोई साधु बना,
पादरी सिख ईसाई यहूदी बना,
चारों धर्मों का है बस मतलब यही,
सूरतें हैं जुदा आईना एक है,
है कन्हैया की मुरली की तानों में वो,
और है मस्जिदों की अज़ानों में वो,
गैरो काबे में क्या ढूढ़ते हो उसे,
है ठिकाने हजारों पता एक है,
Pandit Dev Sharma
Whether you worship or worship, everyone’s way of putting heart is the same.
Be it a Hindu, a Sikh or a Muslim, everyone who maintains himself is one,
What even a human gives to a person,
Man is just an excuse, God gives,
When he gives, he gives heaps of heaps,
When he takes it, the skin also peels off,
Hindu says that Muslim is bad,
Muslim says that only Hindu is bad.
Hindu is bad neither Muslim is bad,
If you come on evil then man is bad,
Some became a Sufi, some became a monk,
The priest became a Sikh Christian Jew,
The only meaning of all the four religions is,
Appearances are different, the mirror is one,
He is in the tone of Kanhaiya’s murli,
And he is in the azaans of mosques,
What are you looking for in Garo Kaaba?
where thousands of addresses are one,
Pandit Dev Sharma