क्या कभी सोचा था किसी ने ऐसा भी दिन आएगा
ग्यारस वाली रात को खाटू सुना ही रह जाएगा ,
क्या कभी सोचा था किसी ने ऐसा भी दिन आएगा
दसमी से ही खाटू नगरी दुल्हन सी सज जाती थी,
मंडल मंडल प्रेमियों की टोलियां सज जाती थी,
आज पड़ी गलियां वीरानी कीर्तन न हो पायेगा,
क्या कभी सोचा था किसी ने ऐसा भी दिन आएगा
बात हमारी मान ले बाबा अब तो नीले चढ़ आवो,
खोल के मंदिर के पट तेरे प्यारा मुखड़ा दिख लाओ,
महा मारी के इस संकट से बाबा तू ही बचाये गा,
क्या कभी सोचा था किसी ने ऐसा भी दिन आएगा
पका है विश्वाश हमे ये विनती न ठुकराएगा,
अगली ग्यारस से पहले ये संकट मिट जाएगा,
सिर पर भगतो के बाबा मोरछड़ी लहराएगा ,
क्या कभी सोचा था किसी ने ऐसा भी दिन आएगा
Did anyone ever think that such a day would come
Khatu will remain heard on the eleventh night,
Did anyone ever think that such a day would come
From the tenth day, the city of Khatu used to be decorated like a bride,
Circles of Mandal lovers used to decorate,
Today, the desolation of the streets will not be able to do Kirtan,
Did anyone ever think that such a day would come
Believe us, Baba, now come up blue,
Open the door of the temple, show your lovely face,
Baba only you will save us from this crisis of epidemic.
Did anyone ever think that such a day would come
Ripe faith will not refuse us this request,
This crisis will be over before the next eleven,
Baba of Bhagto will wave a morchadi on his head,
Did anyone ever think that such a day would come